रायबरेली-धरातल पर नहीं उतर पाई जन उम्मीदों की ऊंचाहार अमेठी रेल परियोजना,,,

रायबरेली-धरातल पर नहीं उतर पाई जन उम्मीदों की ऊंचाहार अमेठी रेल परियोजना,,,

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      रिपोर्ट-सागर तिवारी 

ऊंचाहार - रायबरेली -ऊंचाहार-अमेठी रेल लाइन परियोजना दो प्रमुख राजनीतिक दलों में श्रेय की होड़ में ठंडे बस्ते में दफन हो कर रह गई है। इससे वर्षों से रेल लाइन से जुड़ने का ख्वाब संजोए लोगों को निराशा ही हाथ लगी है।
यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी प्रस्तावित प्रोजेक्ट ऊंचाहार-अमेठी नई रेल लाइन बनने से तीन जिलों रायबरेली, अमेठी, प्रतापगढ़ के लोगों को आशा की नई किरण दिख रही थी। लेकिन वर्ष 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बन गई। इससे परियोजना के भविष्य पर ग्रहण की आशंका बन गई। वहीं भाजपा और कांग्रेस में इसके  श्रेय की होड़ इसकी परवान चढ़ने में बाधा बन गई।
 गौरतलब है कि यूपीए सरकार में अमेठी के तत्कालीन सांसद राहुल गांधी का सपना था कि ऊंचाहार से अमेठी को रेलवे लाइन से जोड़ कर ग्रामीण इलाके के लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा दी जाय। जिसको लेकर तत्कालीन केंद्र की पदारूढ़ यूपीए सरकार ने वर्ष 2009 में ऊंचाहार-अमेठी नई रेल परियोजना को मंजूरी दी। यूपीए सरकार ने वर्ष 2013 में इसके लिए 965 करोड़ रुपए का भारी भरकम बजट भी पास कर दिया और उसी साल 26 नवंबर 2013 को राहुल गांधी और तत्कालीन रेलमंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रस्तावित ऊंचाहार से अमेठी को जोड़ने वाली 66.17 किमी नई रेल लाइन का शिलान्यास कर दिया। जिसके बन जाने से रायबरेली, प्रतापगढ़ और अमेठी के लोगों को रेल की सुविधा मिलना था। इस प्रस्तावित रेललाइन में ऊंचाहार और अमेठी के बीच सात स्टेशन अरखा, गंगश्री, उसरैना, सलोन, परसदेपुर, अठेहा, पंडरी में बनने थे। लेकिन कार्य शुरू होने से पहले ही वर्ष 2014 के चुनाव में यूपीए सरकार की करारी हो गई। इससे परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई।इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को भी हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी की स्मृति ईरानी यहां से सांसद चुनी गई। हालांकि चुनाव के दौरान स्मृति ईरानी ने रेल परियोजना को पूरा कराने का आश्वासन दिया था।और जीतने के बाद केंद्र में मंत्री बनी स्मृति इरानी ने अमेठीवासियों को भरोसा दिलाया था कि रेल परियोजना को पूरा किया जायेगा। लेकिन लंबा वक्त गुजरने के बाद इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो सकी। अलबत्ता सूत्रों के मुताबिक अब पता चल रहा है कि अमेठी-ऊंचाहार रेल लाइन परियोजना को बंद कर दिया गया है। हालांकि इस रेलवे लाइन के बन जाने से तीन जिलों के लाखों लोगों का आवागमन सुलभ हो जाता और क्षेत्र में विकास की गंगा बह सकती। लेकिन लगता है कि परियोजना दो प्रमुख राजनीतिक दलों के श्रेय लेने की होड़ में दफन हो गई है। क्षेत्र के लोगों में होने वाले लोकसभा चुनाव में इस रेल लाइन को लेकर  तरह तरह की चर्चा का दौर शुरू हो गया है। कुछ ही दिनों में ऊंचाहार-अमेठी रेल लाइन परियोजना बड़ा मुद्दा बन सकती है।