'रात को डेढ़ बजे फोन मत करिए कह दिया तो घमंडी बताने लगे...', चुनाव के बाद पहली बार खुलकर बोलीं स्मृति ईरानी

'रात को डेढ़ बजे फोन मत करिए कह दिया तो घमंडी बताने लगे...', चुनाव के बाद पहली बार खुलकर बोलीं स्मृति ईरानी

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दुनिया से पॉलिटिक्स में ऐसी उतरीं कि वो अब वहीं की होकर रह गई. बीजेपी की नेत्री और अमेठी की पूर्व सांसद स्मृति ईरानी इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 में इस सीट पर दोबारा से उतरी थी लेकिन अपनी बेहतरीन कोशिश के बावजूद वो इस सीट से हार गई. चुनाव के नतीजों में स्मृति की हार वाकई चौंकाने वाली थी.

चुनाव में मिली हार के बाद पहली बार स्मृति ईरानी ने मीडिया के सामने खुल कर सारी बात की उन्होंने बताया कि आखिर क्यों अमेठी सीट से उनको हार मिली और क्या वजह है जिसके कारण आज तक स्मृति के सिलेंडर वाले फोटो को कांग्रेस मुद्दा बनाती है और लोग उन्हें घमंडी क्यों बुलाते हैं.

'रात को डेढ़ बजे फोन मत करिए..'

दरअसल एक्ट्रेस से पॉलिटिशियन बनीं स्मृति ईरानी ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में बताया कि कैसे कांग्रेस के कद्दावर नेता और फॉरन मिनिस्टर को रात को डेढ़ बजे फोन मत करिए कह दिया तो उन्होंने घमंडी बताने लगे. स्मृति ने कहा, 'भाई साहब आप मुझे रात को दो बजे फोन मत कीजिए ,गुफ्तगू करने के लिए, मैं नहीं करूंगी.. 'अरे बड़ी घमंडी है'.

'जो हमने सुना था आप वैसी हैं नहीं'

उन्होंने आगे बताया कि कैसे विपक्ष के कुछ नेता उन्हें अपने यहां पार्टी पर बुलाते थे तो स्मृति मना कर देती थी, उस बात पर भी उन्हें घंमडी कहा जाता था. बोलीं स्मृति, 'आप हमारे यहां पार्टी पर आइए, लेकिन मैं पार्टी में नहीं जाती हूं, अरे बड़ी घमंडी है, जो हमने सुना था आप वैसी हैं नहीं.

उन्होंने आगे बताया कि कैसे विपक्ष के कुछ नेता उन्हें अपने यहां पार्टी पर बुलाते थे तो स्मृति मना कर देती थी, उस बात पर भी उन्हें घंमडी कहा जाता था. बोलीं स्मृति, 'आप हमारे यहां पार्टी पर आइए, लेकिन मैं पार्टी में नहीं जाती हूं, अरे बड़ी घमंडी है, जो हमने सुना था आप वैसी हैं नहीं.

'ईमानदारी से बोली हो..'

स्मृति ईरानी, 'मेरे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अटल बिहारी वाजपेयी का कॉल था, जिसमें मुझे कहा गया था कि संतुलित बोली हो, ईमानदारी से बोली हो, बिना किसी अपेक्षा और बदतमीजी किए बोली हो. बावजूद मैं लोगों को घमंडी लगती हूं.' वहीं स्मृति ईरानी ने उस दौर को भी याद किया जब उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के समय में काम किया था. इतना ही नहीं उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के काम करने के तरीके को भी बताया. दोनों में क्या अंतर उसको भी बताया.