रायबरेली-मर्यादा में रहकर माता-पिता की सेवा की सीख देती है रामलीला : उमेश प्रताप सिंह

रायबरेली-मर्यादा में रहकर माता-पिता की सेवा की सीख देती है रामलीला : उमेश प्रताप सिंह
रायबरेली-मर्यादा में रहकर माता-पिता की सेवा की सीख देती है रामलीला : उमेश प्रताप सिंह

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मो-8573856824
 
पाहो की रामलीला में रामेश्वर स्थापना और लक्ष्मण शक्ति लीला का हुआ मंचन 
रायबरेली। खीरों ब्लाक क्षेत्र की श्री दीपमालिके रामलीला कमेटी पाहो द्वारा आयोजित रामलीला के 9 वें दिन विभीषण शरणागति और लक्ष्मण शक्ति लीला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सतांव के पूर्व ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि व प्रमुख समाजसेवी उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि "रामलीला का मंच हमें मर्यादा में रहना और माता-पिता की सेवा करना सिखाता है। जिस तरह भगवान राम ने मर्यादा की स्थापना करने के लिए राज्यों को छोड़ पिता के कहने पर 14 वर्ष बनवास में व्यतीत किए। उसी तरह हमें भी भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेते हुए मर्यादा में रहकर माता-पिता की सेवा कर अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि "रामलीला मंचन का उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को अपने धार्मिक ग्रंथों की जानकारी देना है। सनातन धर्म में रामलीला का बड़ा ही महत्व है। हमें राम के चरित्र से सीख लेनी चाहिए।"
      रामलीला कमेटी की ओर से मुख्य अतीत उमेश प्रताप सिंह का भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का छायाचित्र देकर भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान उन्होंने रामलीला कमेटी को 51 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इस घोषणा के बाद पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। पंडाल में सैकड़ो की संख्या में उपस्थित महिलाओं और पुरुषों में खड़े होकर श्री सिंह का स्वागत किया और कमेटी के कलाकारों ने पुष्प वर्षा की। उमेश प्रताप सिंह ने पाहो गांव से अपना पारिवारिक रिश्ता बताते हुए कहा कि " इस गांव के कार्यक्रम में आने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस करता हूं। इस गांव से हर क्षेत्र में नई पहल होती है। चाहे राजनीतिक क्षेत्र हो या फिर सामाजिक, यह विशेष भूमिका अदा करता है।" मुख्य अतिथि ने आश्वस्त किया कि वह रामलीला कमेटी को अपना सहयोग देते रहेंगे। लीला में भगवान राम, सुग्रीव, जामवंत के साथ बैठकर मंत्रणा करते हैं। इसके बाद वानर सेना को लंका पर चढ़ाई करने का आदेश देते हैं। रावण के दूतों ने जानकारी दी कि वानर सेना लंका के द्वार पर आ गई है। तब रावण ने अपने पुत्र मेघनाद से अपनी सेना के साथ वानर सेना पर आक्रमण करने का आदेश दिया। राक्षस सेना को आया दे देख रामादल में हलचल मच गई। मेघनाद वानरों को मारते हुए आगे बढ़ रहा था। यह देख राम का आदेश पाकर लक्ष्मण युद्ध करने पहुंचे। मेघनाद और लक्ष्मण में भीषण युद्ध हुआ। जब मेघनाद के सारे अस्त्र असफल हो गए तो उसने अमोघ शक्ति लक्ष्मण के ऊपर छोड़ दी। शक्ति के लगते ही लक्ष्मण मूर्छित होकर गिर पड़े। यह देख हनुमान जी लक्ष्मण को लेकर रामादल में पहुंचे। लक्ष्मण को मूर्छित देख भगवान राम विलाप करने लगे। तब विभीषण ने उन्हें बताया कि मेघनाथ ने शक्तिबाण का प्रयोग किया है। इसका उपचार लंका में रहने वाले सुषेण वैद्य ही कर सकते हैं। हनुमान जी सुषेण वैद्य को लंका से लेकर आते हैं। सुषेण वैद्य से कहते हैं कि - "मैं वैद्य दशानन के घर का किस तरह आपका काम करूं, अनुचित होगा यदि लंकापति के बैरी को आराम करूं।" कहते हैं -"जिस धर्म हेतु निज राज्य छूटा श्री पितृ देव का मरण हुआ, जिस धर्म में हेतु प्रिय भारत छूटा कुटिया से सीता हरण हुआ, उस धर्म हेतु यदि लक्ष्मण भी मर जाए तो मर जाए, आवाज यही होगी मेरी पर धर्म नहीं जाने पाए।" सुषेण वैद्य की सलाह पर हनुमान द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लेकर आए और लक्ष्मण की मूर्छा दूर हुई। सुषेण वैद्य का अभिनय अशोक शर्मा, राम का लालू पाल, लक्ष्मण का शिवम त्रिवेदी, मेघनाथ का बाबूलाल गुप्ता, विभीषण का मुन्नूलाल सविता, अंगद का नरेश पाल, सुग्रीव का प्रेम शंकर जायसवाल ने किया। इस दौरान लाले शर्मा, रामू सिंह, अवनीश भदौरिया, अभिषेक सिंह राठौर, कमलेश, राजू सिंह आदि लोग मौजूद रहे। 
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