रायबरेली के डलमऊ तहसील में तैनात लेखपाल पर गंभीर आरोप,जानिए कौन?

रायबरेली के डलमऊ तहसील में तैनात लेखपाल पर गंभीर आरोप,जानिए कौन?

-:विज्ञापन:-


रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मो-8573856824

योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जिन सरकारी नुमाईंदों पर विकास कार्यों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग ना करने का आरोप लग रहा हो और उच्चाधिकारियों के द्वारा उक्त आरोपित सरकारी नुमाईदे के कार्यक्षेत्र में बदलाव करने के बजाय उसे अभयदान दिया जाने लगे तो सरकारी योजनाओं का बंटाधार होना लाजिमी है। ऐसा ही एक मामला डलमऊ - तहसील क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामले में ग्रामीण से लेकर ग्राम प्रधान तक परेशान हैं, परन्तु उच्चाधिकारियों के कानों पर जूँ तक - नही रेंग रही है। डलमऊ तहसील की ग्रामसभा बसंतपुर कठोईया के ग्राम प्रधान अनिल कुमार सिंह चौहान का - कहना है कि वह शासन-प्रशासन की मंशा के अनुरूप जनहित में अपनी ग्रामसभा में चकमार्गों के दुरुस्तीकरण तथा कायाव कायाकल्प - विकास कार्य मनरेगा के तहत करवाना चाहते हैं, परन्तु डलमऊ तहसील के उच्चाधिकारियों के चहेते हल्का लेखपाल की वजह से वह अपने मकसद में सफल नही हो पा रहे हैं। ग्राम प्रधान का आरोप है कि चक मार्ग आदि की पैमाईश के लिए जब चार्ज पर आये हल्का लेखपाल सतीश कुमार से फेन पर सम्पर्क स्थापित करने का प्रयास किया जाता है तो लेखपाल फोन नही उठाते हैं, अगर कभी फोन उठा भी लिया तो चक मार्ग की पैमाईश के लिए पाँच हजार रुपये की खुली माँग करते हैं, ऐसे में क्षेत्र का विकास बाधित हो रहा है। ग्राम प्रधान ने बताया कि लेखपाल की करतूतों की लिखित शिकायत जिलाधिकारी से लेकर उप जिलाधिकारी डलमऊ से कई बार कर चुके हैं, परन्तु अधिकारियों के द्वारा आरोपित लेखपाल को क्षेत्र से हटाने में जरा भी दिलचस्पी नजर नही आ रही है, अब ऐसी स्थिति में ग्रामसभा का विकास शासन की मंशा के अनुरूप कैसे सम्भव हो पाएगा?

प्रमाणपत्रों में देर से मनमानी रिपोर्ट लगाने का भी लग रहा आरोप !

ग्राम प्रधान का कहना है कि उनके पास ग्रामसभा के कई भोले-भाले गरीब तबके के लोग आते हैं, और
शिकायत करते हैं कि आय प्रमाणपत्र में रिपोर्ट लगाने में हल्का लेखपाल बहुत मनमानी कर रहे हैं, जिस आवेदक से लेखपाल को कुछ लाभमिल जाता है, उसके प्रमाणपत्र में तो तत्काल मनचाही रिपोर्ट लगा देते हैं परन्तु जिन गरीब व मजबूर आवेदकों से उन्हे कुछ नही मिलता, उसके प्रमाणपत्रों में पहले तो रिपोर्ट लगाने में देरी करते हैं, अगर रिपोर्ट लगाते भी हैं तो आय से अधिक की रिपोर्ट लगा देते हैं। ग्राम प्रधान ने कहा कि कई ऐसे गरीब व मजबूर भूमि हीन ग्रामीण उनके पास आकर लेखपाल की मनमानी की शिकायत कर चुके हैं, वहीं जब लेखपाल से वजह पूछी जाती है तो वह चुप्पी साध लेते हैं। फिलहाल इस समय केन्द्र व प्रदेश में सत्तासीन बीजेपी सरकार अगले चुनावों के मद्देनजर विभिन्न योजनाओं के तहत विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, परन्तु आगर सरकारी नुमाईदे ही अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के विकास कार्यों में सहयोग करने से पीछे हटने लगे तो सरकार के विकास की गाड़ी के पहिये आगे कैसे बढ़ेंगे।