मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया पर की भावनात्मक पोस्ट,सियासी गलियारों में मची हलचल

मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया पर की भावनात्मक पोस्ट,सियासी गलियारों में मची हलचल

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मो-8573856824

रायबरेली- मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने सोशल मीडिया पर की भावनात्मक पोस्ट सियासी गलियारों में मची हलचल

राहुल गांधी इस जन्म में दिनेश सिंह नहीं बन सकते" – राहुल से चुनाव हारे मंत्री दिनेश प्रताप सिंह का पार्टी और आलोचकों के खिलाफ भावुक विद्रोह

"कौन कहता है मैं मास लीडर नहीं..."

रायबरेली-यूपी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने एक लंबी और भावनात्मक पोस्ट के ज़रिए राजनीतिक उपेक्षा, पार्टी के भीतर विरोध और राहुल गांधी के प्रति अपनी प्रतिद्वंद्विता को खुलकर सामने रखा है।

 "मैं नालायक ही सही, पर रायबरेली का बेटा हूँ"
 "राहुल गांधी इस जन्म में दिनेश सिंह नहीं बन सकते"
 "चार-चार प्रधानमंत्रियों के परिवार से आए राहुल को हराने के लिए चार पार्टियों को एक होना पड़ा"
 "मैंने टूटी साइकिल से सफर शुरू किया, वो जहाज से"
 "2019 और 2024 में औसतन 75,000 वोट प्रति विधानसभा मिले – कोई नेता रायबरेली की 5ों विधानसभाओं में ऐसा जनमत नहीं पाया"

 "हम पांच भाई और छह बच्चे – ग्यारह लोग – मेहनत से यश और धन संचित कर रहे हैं, ये किसी के वोट से नहीं, प्रभु की कृपा से मिला है"

 राजनीतिक दर्द, पार्टी में उपेक्षा और निजी संघर्ष की खुली स्वीकारोक्ति

मंत्री दिनेश सिंह ने स्वीकार किया कि उन्हें पार्टी में मास लीडर नहीं माना गया, स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं की उपेक्षा झेलनी पड़ी।

उन्होंने यह भी लिखा कि रायबरेली के लोग जब कहते हैं "दिनेश सिंह, राहुल गांधी के आगे कुछ नहीं", तो वह रायबरेली की आत्मा को ही छोटा कर देते हैं।

उनका दावा है कि उन्होंने विधायक, एमएलसी, ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, लोकसभा प्रत्याशी जैसे सभी चुनाव लड़े या लड़वाए हैं कोई और नहीं जो लोकतंत्र की इतनी सीढ़ियाँ चढ़ा हो।

 चुनाव परिणाम पर आंकड़ों के साथ तंज:

2019 और 2024 के औसत निकालिए, मुझे रायबरेली लोकसभा की हर विधानसभा में लगभग 75,000 वोट मिले। ये क्या मास लीडरशिप नहीं?”



“राहुल गांधी को हराने के लिए कांग्रेस को समाजवादी पार्टी, बीएसपी, अपना दल (केपी) और कांग्रेस – चार पार्टियों को मिलाना पड़ा।”

 राजनीतिक संदेश या संकेत?

यह पोस्ट सिर्फ भावनात्मक विस्फोट नहीं, बल्कि स्पष्ट रूप से यह इशारा करती है कि दिनेश प्रताप सिंह अब खुलकर कह रहे हैं कि वह केवल पार्टी के "कार्यकर्ता" नहीं रायबरेली के जन-प्रतिनिधि भी हैं, और उनका संघर्ष विरासत पर भारी है।

 यह पोस्ट राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा चुकी है। 

अब बड़ा सवाल 
क्या यह पोस्ट पार्टी नेतृत्व को जवाब है?
या रायबरेली में नई राजनीतिक लहर का संकेत?