रायबरेली-अन्तर्राष्ट्रीय मादक द्रव निषेध एवं तस्करी रोकथाम दिवस पर आयोजित हुआ विशेष विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर

रायबरेली-अन्तर्राष्ट्रीय मादक द्रव निषेध एवं तस्करी रोकथाम दिवस पर आयोजित हुआ विशेष विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर
रायबरेली-अन्तर्राष्ट्रीय मादक द्रव निषेध एवं तस्करी रोकथाम दिवस पर आयोजित हुआ विशेष विधिक साक्षरता एवं जागरुकता शिविर

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मो-8573856824

रायबरेली-माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, के तत्वावधान से अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/जनपद न्यायाधीश, रायबरेली के निर्देशन में अन्तर्राष्ट्रीय मादक द्रव निषेध एवं तस्करी रोकथाम दिवस एवं नवीन रूप से सृजित इकाई DAWN(Drug Awareness and Wellness Navigation for a Drug Free India) Scheme-2025 पर रायन इण्टरनेशनल स्कूल, राही रायबरेली में विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में प्रधानाचार्य सदफ खान उपस्थित रही तथा उनके द्वारा विद्यार्थियों को नशे की लत से दूर रहने की सलाह दी गयी तथा समाज में फैलते युवाओं में नशे में रोकने के लिए भी प्रयास किये जाने संदर्भ में भी विद्याथियों को जागरूक करने का प्रयास किया गया। इस कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि


 अनुपम शौर्य, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा ऐतिहासिक रूप से नशे से विरत रहने के संबंध में महात्मा बुद्ध के पांचवें शील 'सुरा-मेरय-मज्ज-पमाद‌ठाना वेरमणी सिक्खापट समादयामि। (मादक द्रव्यों के सेवन से में विरत रहूँगा, ऐसा वचन लेता हूँ) पर चर्चा करते हुए अवगत कराया गया कि महात्मा बुद्ध द्वारा उत्कृष्ट आचरण के लिए प्रत्येक प्रकार के नशे से विरत रहने के शील को पालन करने के लिए शिक्षा दी गयी है। सचिव, द्वारा इसके अतिरिक्त विस्तृत रूप से सभी प्रकार के नशीले पदार्थों एवं उनके प्रभाव व देश में चल रहे नशा मुक्त भारत अभियान के संबंध में विस्तृत रूप से बताया गया। यह भी बताया गया कि नशे के प्रति सभी आयु के लोगों को विशेष रूप से युवाओं को शराब पीने, धुमपान करने, नशीले दवाओं, तम्बाकू, गुटखा की लत से दूर रहना आवश्यक है। इन नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव के संदर्भ में भी व्यापक रूप से जानकारी दी गयी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में राज्य को निर्देशित किया गया है कि आमजन को नशीले पदार्थों के प्रयोग से सरकारी नीतियों के जरिये प्रतिबन्धित किया गया तथा मात्र चिकित्सकीय प्रयोजन हेतु नशीले पदार्थों का प्रयोग किया जाना अनुमन्य है। यह भी बताया गया है कि नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1985 को 14.11.1985 को लागू किया गया था इसमें सभी नशीले पदार्थों को आमजन के प्रयोग हेतु प्रतिबन्धित किया गया था। उक्त अधिनियम के अन्तर्गत ही नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो की स्थापना मार्च 1986 में की गयी थी जो कि एन०डी०पी०एस० अधिनियम कार्यान्वयन एवं नारकोटिक अवैध व्यापार पर नजर रखता है। तम्बाकू अधिनियम-2003 के अन्तर्गत सार्वजनिक स्थानों जैसे शिक्षण संस्थायें, होटल, मॉल, मार्केट व कार्य स्थलों पर धूमपान को पूर्व रूप से प्रतिबन्धित किया गया है। धारा-5 के अन्तर्गत अवयस्कों को तम्बाकू बेचे जाने को भी प्रतिबन्धित किया गया है व धारा 6 के अन्तर्गत शिक्षण संस्थाओं से 100 गज की दूरी तक ऐसे किसी पदार्थों की दुकान न होने के संदर्भ में प्रावधान किया गया है। धारा-7 के अन्तर्गत प्रत्येक तम्बाकू उत्पाद पर स्वास्थ्य चेतावनी का अंकित होना भी अनिवार्य किया गया है। उक्त शिविर में इकाई DAWN के संबंध में विस्तृत रूप से चर्चा की गयी व यू-ट्यूब पर उपलब्ध DAWN अभियान के वीडियों 'तुम मत गिरना को भी प्रदर्शित किया गया। उपस्थित विद्यार्थियों एवं शिक्षकों नशा मुक्त भारत अभियान, युद्ध नशे के विरूद्ध जैसे कार्यकमों के संबंध में भी विस्तृत रूप से अवगत कराया गया। कार्यकम के अन्त में समो विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को जनपद रायबरेली को नशा मुक्त करने के संबंध में शपथ भी दिलायी गयी। उक्त कार्यक्रम में सहायक अध्यापक अनूप दत्ता, महेन्द्र कुमार मिश्रा, दीनानाथ सिंह व अभिषेक द्विवेदी एवं पराविधिक स्वयं सेवक सौम्या मिश्रा, पवन कुमार श्रीवास्तव व मनोज कुमार प्रजापति उपस्थित रहे।