रायबरेली-कर्बला ने दी इस्लाम को नई ताकत व आदर्श पहचान

रायबरेली-कर्बला ने दी इस्लाम को नई ताकत व आदर्श पहचान

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 रिपोर्ट-सागर तिवारी 

ऊंचाहार -रायबरेली-मुहर्रम के चौथे दिन सोमवार को हर जगह मजलिसेँ चलती रहीं , विभिन्न इमामबाड़ों में दिन रात आयोजन होते रहे। इस दौरान विभिन्न वक्ताओं ने हजरत इमाम हुसैन के बारे में चर्चा की । वक्ताओं ने कहा कि करीब साढ़े चौदह सौ साल पहले कर्बला में हजरत इमाम हुसैन की शहादत ने इस्लाम को ताकत दी और दुनिया में नई पहचान दिलाई । कर्बला ने यह साबित कर दिया कि दीन ईमान और मुहब्बत का नाम इस्लाम है।
     सोमवार को ऊंचाहार कस्बे में सुबह से ही मजलिसें शुरू हो गई। इन मजलिसों में यह बताया गया कि इराक के कर्बला में इमाम हुसैन की जंग मानवता और प्रेम की रक्षा के लिए थी । वह जालिम यजीद के अन्याय के खिलाफ थे। बड़ा इमामबाड़ा में मौलाना  हसनैन मुस्तफाबादी  ने कहा कि भारत जैसा देश पूरी दुनिया में नहीं है , क्योंकि यह हजरत इमाम हुसैन की मोहब्बत का मुल्क है। वह भारत आना चाहते थे, किंतु जालिम ने उन्हें नहीं आने दिया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन का मकसद जंग करना नहीं था , वह तो इस्लाम को वो संदेश देना चाहते थे जो उनके नाना पैगम्बर रसूल ने दिया था । प्यार , भाईचारा , शांति , सद्भाव , इबादत का संदेश उन्होंने पूरी दुनिया को दिया । मौलाना अली मोहम्मद ने जैसे ही मजलिस में पढ़ा कि " कब था पसंद रसूल को रोना हुसैन का , आगोश ए फातिमा थी बिछौना हुसैन का ,बेगौर ओ बेकफन है कयामत से कम नहीं , सहरा की गर्म रेत पर सोना हुसैन का " तो सभी अजादारों की आंखे नम हो गई। इस मौके पर आरिश अब्बास , अशरफ हुसैन असद , साहिल नकवी , तसव्वर अब्बास, असकरी नकवी, तुराब अख्तर , अजादार हुसैन , नासिर हैदर , सरवर हुसैन , शानू नकवी , शाजू नकवी ,इरफान अब्बास आदि लोग मौजूद थे।