CEC नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से बेंच ने खुद को किया अलग, कहा- दूसरी पीठ को भेजे मामला

CEC नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से बेंच ने खुद को किया अलग, कहा- दूसरी पीठ को भेजे मामला

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जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सोमवार को अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. जस्टिस जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने कहा, ‘मामले को किसी और बेंच के समक्ष लिस्ट करें.’

पीठ द्वारा सुनवाई से खुद को अलग करने से पहले, शीर्ष अदालत ने गोयल की नियुक्ति को चुनौती देने वाले एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ से सवाल किया. शीर्ष अदालत ने एनजीओ से यह सवाल किया कि नियुक्ति प्रक्रिया में आखिर किन नियमों का उल्लंघन किया गया है.

पीठ ने कहा कि, “संवैधानिक पद पर किसी व्यक्ति की नियुक्ति के बाद यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि वह गलत, मनमाना काम करेगा या हां में हां मिलाएगा.” पीठ ने कहा कि “चुनाव की शुद्धता” बनाए रखने के लिए शीर्ष अदालत के दो मार्च के फैसले पर यह याचिका निर्भर है.

दो मार्च को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाने की बात कही थी. जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई शामिल होंगे.

अपने एक लंबे फैसले में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि यह बहुत रहस्यमयी बात है कि नौकरशाह अरुण गोयल को अगर चुनाव आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव के बारे में जानकारी नहीं थी तो आखिर उन्होंने पिछले साल 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कैसे किया.

तब इस सुनवाई के दौरान, एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत में कहा था कि गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया दुर्भावनापूर्ण और मनमानी है. इसके तहत देश भर के 160 अधिकारियों में से चार अधिकारियों का चयन किया गया और उनमें से कई गोयल से जूनियर थे बावजूद इसके उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त के रुप में नियुक्त कर दिया गया. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में है.