रायबरेली-इमामबाड़ा कब्रिस्तान में अवैध किरायेदारी, फर्जी नियुक्ति कर वक्फ नियमों का किया गया उल्लंघन,,,,

रायबरेली-इमामबाड़ा कब्रिस्तान में अवैध किरायेदारी, फर्जी नियुक्ति कर वक्फ नियमों का किया गया उल्लंघन,,,,

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  रिपोर्ट-सागर तिवारी


- FIR के आदेश
हाईकोर्ट से भी राहत नहीं 

रायबरेली के ऊंचाहार में इमामबाड़ा कब्रिस्तान की वक्फ भूमि पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। मामले में चार लोगों पर कार्रवाई का आदेश अरसा पूर्व जारी चुका हुआ है। इनमें मोहम्मद नकवी और उनके तीन पुत्र शामिल हैं। 
दरअसल कस्बे के फाटक भीतर निवासी नकवी सरकारी सेवा माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक थे। उन्होंने दुकान लेकर दोहरी आय का लाभ उठाया। उनके तीनों नकवी पुत्र भी कोतवाली रोड स्थित इमामबाड़ा कब्रिस्तान वक्फ की भूमि पर बनी दुकानों के किरायेदार थे।
इन चारों ने किराया नहीं चुकाया। इस पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 13 सितंबर 2021 को आदेश जारी किया। आदेश में तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करने को कहा गया। यह आदेश शासनादेश संख्या-3022 (दिनांक 7 जुलाई 2021) के तहत जारी किया गया। किन्तु सरहंगई और धनबल की जोर से वक्फ की भूमि पर कुण्डली मारकर बैठे हैं। 
इससे पहले 3 फरवरी 2020 को उत्तर प्रदेश वक्फ विकास निगम ने चारों बकायेदारों के खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किया था। यह सर्टिफिकेट लखनऊ स्थित जवाहर भवन से जारी किया गया।

और क्या हुआ खेल 

उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का मामला।

बोर्ड के अध्यक्ष जैदी की नियुक्ति के बाद से विवादित फैसले लिए गए। जैदी ने अपने रिश्तेदार नकवी की पत्नी को वक्फ की अध्यक्ष बनाया। साथ ही दूसरे पुत्र की पत्नी को सचिव पद पर नियुक्त किया। 
इससे पहले किरायेदारी को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में एक महत्वपूर्ण मामला आया था। वर्तमान कब्जेदार नकवी ने बकाया किराए के खिलाफ याचिका दायर की थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 3 मार्च 2020 को याचिका खारिज कर दी और किराया जमा करने का आदेश दिया। इसके बाद इनके रिश्तेदार नकवी ने अपने चाचा  के नाम से आवंटित दुकान में सिंह की अवैध किरायेदारी को छिपाते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। यह कोर्ट के साथ बड़ा धोखाधड़ी का मामला साबित हुआ। वक्फ बोर्ड ने 4 जनवरी 2022 को एक विवादास्पद प्रमाण पत्र जारी किया। इसमें उनमें रिश्तेदार के भतीजे  अख्तर नकवी,फात्मा और अन्य को अवैध रूप से तौलियत प्रमाण-पत्र दिया गया। यह वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 26 का घोर उल्लंघन है। शासनादेश संख्या 364 के अनुसार इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। यह आदेश उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग ने 22 फरवरी 2006 को जारी किया था। किन्तु स्थानीय अधिकारियों से गिद्धों की सेटिंग गेटिंग, और धनबल की जोर से कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। गिद्ध भूमाफियाओं की नज़र से इमामबाड़ा कब्रिस्तान की भूमि पर ग्रहण लग रहा है।  देश की सर्वोच्च न्यायालय से लेकर राज्य और केंद्रीय सरकार वक्फ की संपत्ति को सुरक्षित संरक्षित कराने की लेकर चिन्तित हैं। लेकिन यहां यह गिद्ध उनकी मंशा की धता बताकर मनबढ़ हैं और वक्फ सम्पत्ति को अपनी पैतृक सम्पत्ति पर काबिज हैं। इनपर उच्च न्यायालय और विभाग का आदेश बे-असर साबित हो रहा है।