एम्स रायबरेली में पेडियाट्रिक सर्जरी सप्ताह मनाया गया

एम्स रायबरेली में पेडियाट्रिक सर्जरी सप्ताह मनाया गया

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)

मो-8573856824

रायबरेली: पेडियाट्रिक सर्जरी सप्ताह पूरे भारत में विभिन्न सरकारी और निजी संगठनों द्वारा मनाया जाता है। भारत में हर साल जून के दूसरे सप्ताह में पेडियाट्रिक सर्जरी सप्ताह मनाया जाता है, ताकि आम जनता के बीच पेडियाट्रिक सर्जरी चिकित्सा क्षेत्र की सेवाओं को लोकप्रिय बनाया जा सके, जो वास्तव में जीवन के सबसे नाजुक चरण को छूता है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायबरेली में पेडियाट्रिक सर्जरी विभाग द्वारा 2 जून से 8 जून तक पेडियाट्रिक सर्जरी सप्ताह मनाया गया।कार्यक्रम विभागाध्यक्षा डॉ. सुनीता सिंह के मार्गदर्शन में चलाया गया। एमबीबीएस के विद्यार्थियों, नर्सिंग अधिकारियों एवं नर्सिंग छात्राओं ने नाटक प्रस्तुत किए और आम लोगों से संवाद कर पेडियाट्रिक सर्जरी की विशेषताओं के बारे में लोगों को जागरूक किया।

इस पेडियाट्रिक सर्जरी सप्ताह के दौरान, पेडियाट्रिक सर्जरी के संकाय ने आम जनता को संदेश दिया कि गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन न करने, धूम्रपान न करने, मधुमेह पर नियंत्रण, फोलिक एसिड का सेवन करें और किसी भी बुखार या चकत्ते तुरंत महिला चिकित्सक से परामर्श और उचित टीकाकरण करके जन्मजात विसंगतियों को कुछ हद तक रोका जा सकता है। जब हम सर्जरी के बारे में सोचते हैं, तो हम अक्सर जटिल उपकरणों, कुशल हाथों और लंबे घंटों के बारे में सोचते लेकिन पेडियाट्रिक सर्जनों के उपकरण और भी नाजुक होते हैं, सर्जनों के हाथ अधिक कुशल होते हैं, और ज़िम्मेदारी बहुत अधिक होती है। पेडियाट्रिक विशेषज्ञ एक नवजात शिशु से लेकर 18 साल की उम्र तक के युवा किशोरों का ऑपरेशन करते हैं। बच्चे अपनी बात बता नहीं सकते कि उन्हें क्या दर्द है, लेकिन उनके माता-पिता पेडियाट्रिक सर्जनों पर भरोसा करते हैं। पेडियाट्रिक सर्जरी न केवल जन्मजात विसंगतियों को कवर करती है वल्कि ट्यूमर, कैंसर और आघात और बड़ों की हर वह बीमारी जिसका ऑपरेशन किया जाता है बच्चों में भी पेडियाट्रिक सर्जन के द्वारा ही ऑपरेशन से ही ठीक किया जाता है। लेकिन बच्चा केवल छोटे वयस्क नहीं होते; उनके शरीर, दिमाग और भावनात्मक जरूरतें पूरी तरह अलग होती हैं। एक पेडियाट्रिक सर्जन को एक सर्जन, एक चिकित्सक, एक परामर्शदाता, एक शिक्षक/प्रशिक्षक होना चाहिए,

और कभी-कभी एक जादूगर की तरह - एक मुस्कान के साथ बच्चे के डर को कम करने की क्षमता भी होनी चाहिए। पेडियाट्रिक सर्जरी का हर ऑपरेशन सिर्फ एक समस्या को ठीक करने के बारे में नहीं है - यह एक बच्चे को एक पूर्ण, स्वस्थ जीवन जीने का मौका देने के बारे में है।

जन्मजात विसंगतियां, जिन्हें जन्म दोष के रूप में भी जाना जाता है, संरचनात्मक या कार्यात्मक असामान्यताएँ हैं और इन्हें जन्म से पहले, जन्म के समय या जीवन में बाद में भी पहचाना जा सकता है। उदाहरण के लिए, तंत्रिका ट्यूब दोष, फेटे मूंह/तालू, स्ट्रोक, हृदय दोष। WHO का अनुमान है कि दुनिया भर में सभी जीवित जन्मों में से 6% गंभीर जन्मजात विसंगति से प्रभावित हैं। वैश्विक औसत दर लगभग 1,000 जीवित जन्मों में 20-30 जन्मजात विसंगति से प्रभावित हैं। विसंगतियों की दर पोषण (उदाहरण के लिए, गर्भाधान के दौरान फोलिक एसिड का सेवन), पर्यावरण संबंधी कारण, आनुवंशिक कारक, गर्भावस्था के दौरान संक्रमण (उदाहरण के लिए, जीका वायरस, रूबेला वायरस) पर कुछ हद तक निर्भर करती है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एल.एम.आई.सी.) में रोग का भार 94% है। विश्व स्तर पर हर साल लगभग 295,000 नवजात शिशुओं की मृत्यु जन्मजात विसंगतियों से होती है (डब्ल्यूएचओ, 2023) होती है। वे पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर का महत्वपूर्ण कारण हैं। 2017 में दिए गए एक शोध के अनुसार, जन्म दोषों के कारण भारत में नवजात शिशुओं की शुरुआती अवधि में 37,104 मौतें और नवजात शिशुओं के बाद की अवधि में 27,120 मौतें हुई जनकी दर मध्यम आय वाले देशों की तुलना में लगभग दोगुनी है।

शारीरिक अक्षमताएं (जैसे, अंग दोष), मनोवैज्ञानिक तनाव, सामाजिक अस्वीकृति, उचित उम्र में स्कूल न जा पाना और मातापिता का मानसिक तनाव जन्म दोषों के कुछ परिणाम हैं। जन्म दोषों के कारण माता-पिता, समाज और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर सामाजिक-आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। आर्थिक बोझ वच्चे में होने वाली कई सर्जरियों की जरूरत के कारण, समाज में बच्चों के दीर्घकालिक पुनर्वास की जरूरत और कुछ बीमारियों के लिए आजीवन निगरानी के कारण होता है। स्वास्थ्य देखभाल की उच्च लागत और जन्मजात विसंगतियो के लिए उचित बीमा कवरेज की कमी इन परिवारों को गरीबी की ओर धकेलने का एक कारण है।

पूरे सप्ताह के दौरान लोगों को जागरूक किया गया कि जन्मजात विकृतियों का उपचार संभव है, और यदि सही समय पर सही व्यक्ति द्वारा सही उपचार किया जाए तो बच्चा सामान्य जीवन जी सकता है। बच्चो की किसी भी सर्जरी के लिए पेडियाट्रिक सर्जन ही सर्वोत्तम विकल्प है। आज, पेडियाट्रिक सर्जरी एक उच्च तकनीक वाली शल्यचिकित्सा शाखा है, जिसका प्रबंधन विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा किया जाता है। लेप्रोस्कोपी सर्जरी, रोबोटिक सर्जरी आदि छोटे चीरों, कम दर्द और सर्जरी और के बाद तेजी से रिकवरी के लिए लाभकारी हैं। स्पाइना बाइफिडा जैसी कुछ विसंगतियों का इलाज अब तब किया जा सकता है जब बच्चा गर्भ में ही हो। जिनोमिक मेडिसीन और 3डी प्रिंटिंग: सर्जनों को दुर्लभ जन्मजात विकारों के लिए उपचार की योजना बनाने में मदद करता है।

पेडियाट्रिक सर्जरी विभाग द्वारा ओपीडी सेवा हर दिन कक्ष 155/156 में चल रही हैं। माता-पिता अपने बच्चों की समस्याओं के बारे में परामर्श के लिए किसा भी दिन आ सकते हैं। एम्स का पेडियाट्रिक सर्जरी विभाग बच्चों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी सहित सभी प्रकार की सर्जरी प्रदान करता है। आज तक 1000 से अधिक बच्चों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया जा चुका है। जिन बच्चों का शौच मार्ग सामान्य नहीं होता है सर्जरी से गुदा और मूत्रमार्ग के मार्ग में

सुधार किया जाता है। पेशाब करने में कठिनाई होने पर भी कभी-कभी ऑपरेशन करने की ज़रूरत होती है। हाइपोस्पेडियास (मूत्रमार्ग का द्वार सही स्थान पर नहीं होने पर), का ऑपरेशन भी पेडियाट्रिक सर्जरी में किया जाता है। इसमें अतिरिक्त शारीरिक संरचना के विकार, डायफ्रामियोगैमेटियोसिस हार्निया, आंत्र में रूकावट, हिर्शस्प्रंग, छाती में मवाद (एम्पाइमा थोरैसिस) आदि का उपचार शामिल है। पेडियाट्रिक सर्जरी विभाग में बाल यूरोडायनामिक्स की सुविधा भी शीघ्र ही उपलब्ध होगी।

डीन परीक्षा प्रो. प्रगति गर्ग, प्रो. रजत दास और प्रो. प्रबल जोशी, डॉ. अनुप्रीत, डॉ. दिव्या प्रकाश, डॉ. उमेश गुप्ता, डॉ. मृत्युंजय कुमार, डॉ वंदना वर्मा, कर्नल उपेन्द्र नाथ राय ने नर्सिंग अधिकारियों और छात्रों को उनकी कड़ी मेहनत और पोस्टर प्रतियोगिताओं के लिए पुरस्कार दिए।