रायबरेली-एनटीपीसी आवासीय परिसर स्थित एक विद्यालय में प्रधानाचार्य द्वारा शिक्षकों के साथ एक वाहियात मजाक जाने क्या,,,,,

रायबरेली-एनटीपीसी आवासीय परिसर स्थित एक विद्यालय में प्रधानाचार्य द्वारा शिक्षकों के साथ एक वाहियात मजाक जाने क्या,,,,,

-:विज्ञापन:-



 रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार- रायबरेली- कहते हैं शिक्षक उस मोमबत्ती की भांति होता है जो खुद जलकर दूसरों की रोशनी देता है। लेकिन उन्हीं शिक्षकों के साथ एनटीपीसी आवासीय परिसर स्थित विद्यालय में प्रधानाचार्य और प्रबन्धक द्वारा शिक्षकों के साथ एक वाहियात मजाक घिनौना मजाक करने सामने आया है। पहले उनसे हिन्दी अंग्रेजी प्रवक्ता के पद का आवेदन करवाया उन्हें फोन करके विद्यालय बुलाया और एक दर्जन से अधिक विद्वान शिक्षकों उनकी आयु का हवाला देकर लिखित परीक्षा में बैठने से मना करके बैरंग ही वापस कर दिया। 
     यह मामला एनटीपीसी आवासीय परिसर स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इण्टर कॉलेज का है। जहां हिन्दी व अंग्रेजी रिक्त प्रवक्ता पद के लिए विद्यालय प्रबंधन ने निविदा जारी की थी। जिसका बकायदा अखबार में विज्ञापन जारी किया गया। हिन्दी अंग्रेजी के रिक्त प्रवक्ता पद पर मापदंड एमए बीएड की योग्यता निर्धारित कर किया गया। आवेदन की खबर शिक्षकों में आग की तरह फैल गई। विद्यालय प्रबंधन आवेदन स्वीकार की अन्तिम तारीख 17 अप्रैल तय किया करीब 50—55  अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। जिन्हें विद्यालय प्रबंधन ने एक सप्ताह पूर्व ही मोबाईल फोन से सम्पर्क रविवार सुबह दस बजे के लिए परीक्षा का में प्रतिभाग करने के लिए आमंत्रित किया। जिसके बाद रविवार को सुबह नौ बजे से ही अभ्यर्थियों जमावड़ा लग गया। कड़ी धूप में अभ्यर्थी विद्यालय के गेट खुलने की प्रतीक्षा करते रहे। इनमें आज़मगढ़ दो महिलाएं समेत दूर दराज से आई अभ्यर्थी समेत क्षेत्र के कोटिया चित्रा की रहने वाली रेनू सिंह, जगतपुर के अभिषेक सिंह,  बलराम पाण्डेय, मोनू पाण्डेय रामू पाण्डेय के पुत्र मोनू ने बताया का कहना है कि पहले तो दस बजे की लिखित परीक्षा कराने का समय निर्धारित कर प्रधानाचार्य साढ़े दस बजे आए इसके बाद अचानक ही आयु का मापदण्ड निर्धारित करके के 10—15 अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने से रोक दिया और उन्हें वापस जाने के लिए बोल दिया गया। चूंकि अभ्यर्थी परास्नातक हैं इसलिए उन्होंने अचानक आयु का मापदण्ड निर्धारित करने का विरोध किया तो प्रधानाचार्य दीपक सिंह ने प्रबंधक से वार्ता करने का आश्वासन दिया लेकिन उनकी वार्ता बेनतीजा रही कुछ देर बाद उन्हें बैरंग  वापस कर दिया गया। नाराज़ शिक्षकों ने बाहर ही हंगामा शुरू कर दिया। उनका कहना है कि जब आयु का मापदण्ड रखना था तो आवेदन स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए था। अचानक आयु मापदण्ड लगाना था तो फोन करके अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा के लिए क्यों आमंत्रित किया गया। यदि पहले ही इसकी सूचना दे दी जाती तो दूसरे जिले और और कई किलो मीटर दूर से लोग किराया लगाकर न आते उन्हें आर्थिक क्षति न होती। वापसी ने कड़ी धूप में अभ्यर्थियों को वापस जाना पड़ा। अभ्यर्थियों को कहना है कि विद्यालय की प्रधानाचार्य दीपक सिंह ने पहले आयु मापदण्ड की सूचना न पर अभ्यर्थियों से क्षण याचन भी की। 
प्रधानाचार्य दीपक सिंह ने बताया कि अखबार सहित सोशल मीडिया पर जारी की गई निविदा की सूचना नहीं दी गई थी। किन्तु अभ्यर्थियों को फोन करके आयु मापदण्ड की सूचना दे दी गई थी। अभ्यर्थियों द्वारा अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है।