रायबरेली-आस्था को प्रगाढ़ और वातावरण को शुद्ध बना रहे- जितेन्द्र द्विवेदी

रायबरेली-आस्था को प्रगाढ़ और वातावरण को शुद्ध बना रहे- जितेन्द्र द्विवेदी

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   रिपोर्ट-सागर तिवारी


ऊंचाहार-रायबरेली - अनुष्ठान न सिर्फ आध्यात्मिक परंपरा को प्रगाढ़ करते है ,अपितु पर्यावरण को भी शुद्ध करते हैं । इससे पर्यावरण शुद्ध होता है और संक्रामक रोगों का खतरा भी कम हो जाता है। हवन अनुष्ठान के इस महत्व को क्षेत्र के गोकना गंगा घाट के तीर्थ पुरोहित जितेंद्र द्विवेदी ने समझा है । वह सम्पूर्ण जीवों के कल्याण के लिए रोज अनुष्ठान कर रहे हैं ।
        गंगा तट पर खुले में शवदाह के कारण वातावरण में घुलने वाली जहरीली गैसों के प्रभाव को कम करने के साथ आस्था को प्रगाढ़ करने के लिए वह रोज गंगा तट पर हवन करके वातावरण को शुद्ध बना रहे है । दरअसल गोकना गंगा तट पर रोज औसतन करीब दस शवों का अंतिम संस्कार खुले में होता है । खुले में शवदाह से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और कुछ अन्य जहरीली गैसें घुलती हैं। इन गैसों से वायु प्रदूषण बढ़ता है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। वातावरण में इस दुष्प्रभाव को कम करने के लिए जितेन्द्र रोज प्रातः गंगा तट पर पहुंचकर मां गंगा का पूजन आरती के साथ हवन करते हैं । हवन में प्रयोग होने वाली सामग्री लोबान , गंधक , सरसों , शिलाजीत , हल्दी , सोंठ , नागर मेंथा, जावित्री , काला तिल , चावल , कपूर आदि सामग्री से पूरा वातावरण शुद्ध हो जाता है । इसी के साथ धार्मिक आस्था भी प्रगाढ़ होती है । 

कई अवसरों पर होता है सामूहिक हवन 

जितेंद्र द्विवेदी बताते है कि उनका एक कार्यक्रम कई सालों से अनवरत जारी है । बरसात के दिनों में जब बाहर बरसात हो रही होती है तो वह पास के धर्मशाला में यह अनुष्ठान करते हैं । सावन के महीने में प्रतिदिन गंगा तट पर महादेव का रुद्राभिषेक करते हैं ।  पितृपक्ष में बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पर पहुंचकर अनुष्ठान करते है। सावन के महीने और पितृपक्ष में दिन भर हवन पूजन चलता है । इसके अलावा कई अवसरों पर वृहद रूप में सामूहिक हवन भी होता है, जिसमें जितेंद्र बड़ी भूमिका निभाते हैं ।