रायबरेली-बाबा साहब के आदर्श समानता , शिक्षा और संघर्ष को अपनाने की जरूरत,,,

रायबरेली-बाबा साहब के आदर्श समानता , शिक्षा और संघर्ष को अपनाने की जरूरत,,,

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 रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार रायबरेली। क्षेत्र में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134 वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर भंडारा और मेले का आयोजन किया गया, बाबा साहब के जीवन और उनके कार्यों को याद किया जा रहा है। 
       क्षेत्र के अम्बेडकर नगर मजरे पट्टी रहस कैथवल में आजाद समाज पार्टी के विधान सभा अध्यक्ष ललित गौतम द्वारा सोमवार को बाबा साहब डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर गाँव में भण्डारा और मेले का आयोजन किया गया। आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दादा नाम से ख्याति प्राप्त वरिष्ठ समाजसेवक दादा रमेश मौर्या ने शिरकत किया। सर्व प्रथम बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। उन्होंने मौजूद वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे और दलित वर्गों के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष करते रहे। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में कई  बाधाओं का सामना किया, लेकिन उनकी शिक्षा और संघर्ष ने उन्हें एक महान नेता बनाया।
इसके बाद उन्होंने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया और सभी को उनके मार्ग पर चलने की शपथ दिलाई। 
आयोजक ललित गौतम ने कहा कि डॉ.अंबेडकर ने मुंबई विश्वविद्यालय, कोलंबिया विश्वविद्यालय (न्यूयॉर्क), ग्रेज़ इन (लंदन), और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षा प्राप्त की।  उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष किया और कई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे कि महाड़ सत्याग्रह और कलाराम मंदिर आंदोलन। डॉ. अंबेडकर ने संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में भारतीय संविधान की रूपरेखा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  वह स्वतंत्र भारत के पहले विधि मंत्री बने और हिंदू कोड बिल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य हिंदू व्यक्तिगत कानूनों को संहिताबद्ध और सुधारना था। डॉ. अंबेडकर की भूमिका ने भारतीय संविधान को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो देश के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
इस दौरान  सुरेश कुमार, नरेंद्र गुप्ता, आनंद कुमार, पुतान गौतम, शिवजीत यादव, सीमा गौतम, रेखा पटेल, प्रीति आदि लोग उपस्थित रहे।