रायबरेली-माह ए रमजान में दिन-रात बरसती है अल्लाह की रहमत,,,,

रायबरेली-माह ए रमजान में दिन-रात बरसती है अल्लाह की रहमत,,,,

-:विज्ञापन:-




    रिपोर्ट-सागर तिवारी 

ऊंचाहार-रायबरेली -  माह-ए-रमजान में अल्लाह की रहमत बरस रही है। मस्जिदों से इबादत और घरों से तिलावत की आवाजें आने का सिलसिला चल निकला है। रोजेदार पूरी तरह से इबादत और तिलावत में जुटे हुए हैं। हर रात तरावीह में सैकड़ों लोग शामिल होकर सवाब हासिल कर रहे हैं। रहमत के अशरे में अल्लाह पाक की रजा पाने के लिए मुसलमानों ने अपने रब को राजी कर और गुनाहों से तौबा की।

रमजान का मुबारक महीना खुद को तमाम गुनाहों से दूर रखकर अल्लाह की इबादत का सुनहरा मौका देता है। यह पाक महीना अल्लाह के नजदीक आने का मौका देता है। इस माह में अल्लाह की रहमत बरसती है। रोजेदार आत्मनियंत्रण के जरिए खुद को बुराइयों से पाक करते हैं। भूख-प्यास पर काबू रखकर बुराइयों से दूर रहते हुए दुनियावी कामों के साथ अपना समय अध्यात्म में बिताते हैं। मुस्तफाबाद कस्बा निवासी धार्मिक आयोजनों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले अशरफ हुसैन असद  बताते हैं कि अल्लाह ने अमूमन 30 दिनों के रमजान महीने को तीन अशरों (हिस्सों) में बाटा है। कुरान शरीफ की तिलावत , नमाज सुन्नत है और अल्लाह ने इसके लिए काफी सवाब तय कर रखा है। उन्होंने बताया कि  यह रहमतों, बरकतों वाला महीना है, जिसमें अल्लाह शैतान को कैद कर देता है, जिससे वह लोगों की इबादत में खलल न डाले। रमजान-उल-मुबारक में हर नेकी का सवाब 70 गुना कर दिया जाता है। हर नवाफिल का सवाब सुन्नतों के बराबर और हर सुन्नत का सवाब फर्ज के बराबर कर दिया जाता है। इस तरह सभी फर्ज का सवाब 70 गुना कर दिया जाता है। मतलब यह कि इस माहे-मुबारक में अल्लाह की रहमत खुलकर अपने बन्दों पर बरसती है। रमजान में ही पाक कुरआन शरीफ उतारा गया। पैगंबर हजरत मुहम्मद (सल्ल.) रमजान में अपनी इबादत का दायरा बढ़ा दिया करते थे।


गुनाहों से कर देता है पाक


अशरफ हुसैन असद बताते  हैं कि रमजान का लफ्ज़ 'रम्ज' से निकला है ।जिसका मतलब जलाने या भट्टी में तपिश से है। जिस तरह सोनार की भट्ठी में तपकर सोना कुंदन बन जाता है उसी तरह रमजानुल मुबारक की भट्ठी से गुजर कर मोमिन जन्नत का मुस्तहिक बन जाता है और उसके तमाम गुनाह धुल जाते हैं। रमजानुल मुबारक माह की सबसे अहम और बुनियादी रोजा है। यह नफ्स (इंद्रियों) को माजने और साफ करने के लिए होती है। रोजा ईमान की चमक बढ़ाता है। इससे मोमिन परहेजगार बन जाता है। रमजान वह मुकद्दस महीना है, जिसमें कुरान मजीद लोहे महफूज से आसमानी दुनिया पर उतारा गया और थोड़ा-थोड़ा कर तीस साल के अर्से में नाजिल होता रहा है। यह महीना हमदर्दी और गमख्वारी का महीना है। इस माह गरीबों और नौकरों के साथ अच्छा सुलूक करने की हिदायत दी गई है। इस माह एक फर्ज की अदायगी पर गैर रमजान के मुकाबले सत्तर गुना सवाब मिलता है।