Raibareli-85वीं पुण्य तिथि पर याद किये गये आचार्य द्विवेदी*

Raibareli-85वीं पुण्य तिथि पर याद किये गये आचार्य द्विवेदी*

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रिपोर्ट-सुधीर अग्निहोत्री

*पैतृक गांव दौलतपुर में स्थापित आचार्य द्विवेदी की प्रतिमा पर अर्पित की गयी पुष्पांजलि*

*छात्रा राधा व अनामिका की ओर से प्रस्तुत की गयी सरस्वती वन्दना से हुआ समारोह का शुभारंभ*



सरेनी-रायबरेली-हिन्दी साहित्य के युग प्रवर्तक आचार्य महाबीर प्रसाद द्विवेदी की 85वीं पुण्य तिथि पर उनके पैतृक गांव दौलतपुर में भव्य समारोह का आयोजन किया गया!इसका आयोजन बैसवारा साधना समिति के तत्वावधान में किया गया!समारोह का शुभारंभ छात्रा राधा व अनामिका की ओर से प्रस्तुत की गयी सरस्वती वन्दना से हुआ!अभिमान मिश्रा,रिया यादव,अंजलि,सारिका,पूजा की ओर से आचार्य प्रवर के सम्मान में एक गीत प्रस्तुत किया गया!इसके उपरांत दौलतपुर के पूर्व प्रधान रामबहादुर सिंह ने कहा कि आचार्य द्विवेदी ने राष्ट्र भाषा हिंदी को परिमार्जित कर खड़ी बोली का रूप दिया!उनके जन्मस्थली में जन्म लेकर वे गौरव का अनुभव करते हैं!श्री सिंह ने कहा कि आचार्य ऐसे देदीप्यमान नक्षत्र में थे जिनका प्रकाश अनन्त काल तक पूरे वशव में जगमगाता रहेगा!समारोह को अशोक श्रीवास्तव,गोविन्द सविता,राजेन्द्र विश्वकर्मा,महादेव सिंह आदि ने भी सम्बोधित किया व आचार्य प्रवर को श्रद्धापूर्वक नमन किया!इसके पूर्व गांव में स्थापित उनकी प्रतिमा पर भी पुष्पांजलि अर्पित की गयी!इस अवसर पर शशिकांत अग्निहोत्री,सधन पाण्डेय,विनोद कुमार सिंह,अनुज शुक्ला,संजय सिंह,महादेव सिंह,हरिद्वार सिंह आदि मौजूद रहे!समारोह की अध्यक्षता महादेव सिंह व संचालन सुनील सिंह सरगम ने किया!

*काव्य संध्या का किया गया आयोजन*

राष्ट्र भाषा हिंदी के सर्जक एवं हिंदी साहित्य में द्विवेदी युग के संस्थापक आचार्य महाबीर प्रसाद द्विवेदी की 85वीं पुण्य तिथि पर काव्य सन्ध्या का आयोजन किया गया!इसका शुभारंभ कवियत्री रेखा पाण्डेय की सरस्वती बन्दना से हुआ!इसके उपरांत महादेव सिंह "आवाज" ने इन पंक्तियों के माध्यम से आचार्य द्विवेदी को नमन किया!"महामूर्ति का यश धवल अक्षर बना।ग्राम दौलतपुर सुतीर्थ अमर बना।राष्ट्र भाषा के इतिहास में द्विवेदी युग मील का प्रस्तर बना।"उन्नाव जनपद से पधारे कवि कमलेश कुमार शुक्ल (कमल) ने इस रचना के माध्यम से आचार्य प्रवर को प्रणाम किया।"कमंडल,कमल व तलवार की ये पवन धरती है।सदा स्वर्णिम शिलाओं पर नया इतिहास रचती है।द्विवेदी,सुमन और आजाद की ये धरती,जरूरत जब पड़ी लहू से हिंदुस्तान रचती है।"लालगंज से पधारे कवि वाई.पी. सिंह ने ये पंक्तियां पढ़ी-पूजा किया करो तुम शहीदों के दर पे जाके।स्मारक शहीदों के ये किसी मन्दिर से कम नहीं हैं।शिवतोष संघर्षी की ये रचना भी सराही गयी-मसला हल हो जाता पल में इन आतंकी विस्फोटो का।कटा शीश यदि आया होता मंत्री जी के बेटों का।शिव शंकर (शिव) की यह रचना भी सराही गयी-शिव नित सुख की खोज में यह मन फिरै लोभान।दुख के इस संसार में सुख की कहाँ दुकान।काव्य सन्ध्या में महादेव महर्षि,श्याम सुंदर श्याम,कुमार मयंक,सतीश सिंह आदि ने भी काव्य पाठ किया।संचालन सुनील सिंह सरगम व योगेन्द्र सिंह ने किया!