कांग्रेस नेता का बड़ा बयान, मुगलों ने दिया था दलितों को पढ़ने का अधिकार, इसीलिए पाठ्यक्रम से हटाया गया उनका इतिहास

लखनऊ : NCERT के पाठ्यक्रम से मुगलों का इतिहास हटाने के बाद से बड़ा बवाल मचा हुआ है.इसको लेकर राजनितिक दलों के निशाने पर केंद्र की बीजेपी सरकार है. यूपी में कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने बड़ा बयां दिया है. उन्होंने कहा है कि मुगलों ने दिया दलितों को पढ़ने का अधिकारदिया था, इसीलिए पाठ्यक्रम से उनका इतिहास हटा दिया गया है.
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि संघ मुगलों से इसलिए चिढ़ता है कि मुगलों के दौर में ही मदरसे जैसे सर्व शिक्षा के केंद्र स्थापित हुए थे जहाँ दलितों को भी पढ़ने का अधिकार मिला जिनके लिए उससे पहले शिक्षा वर्जित थी. मुगलकाल में पढ़ने का अधिकार पाए दलितों की तीसरी-चौथी पीढी से ही ज्योतिबा फुले और अम्बेडकर जैसे दलित चिंतक पैदा हुए. इनमें से फुले ने मनुवाद के खिलाफ़ गुलामगिरी जैसी किताब लिखी और अम्बेडकर जी ने मनुस्मृति का दहन किया.
उन्होंने कहा कि मुगलों का इतिहास छात्रों को समावेशी बनाता है क्योंकि उन्हें यह पता चलता है कि अकबर के 9 रत्नों में कई हिंदू विद्वान भी थे या औरंगजेब के शासन में 30 प्रतिशत अहम ओहदों पर हिंदू राजा थे. उन्हें 1604-05 में अकबर के शासन के 50 साल पूरे होने पर राम और सीता की तस्वीर वाले सिक्के की फोटो भी दिखती थी जिसपर राम राज लिखा हुआ था. उन्हें यह भी जानकारी मिलती थी कि मुगलों के शासनकाल में दुनिया के कुल जीडीपी का 25 प्रतिशत भारत का होता था. ये सब पढ़ कर छात्रों के मन में आरएसएस के कथित राम राज्य के दावों पर सवाल उठते हैं. इसीलिए मुगलों का इतिहास पाठ्यक्रम से हटाया गया है. यह योगी सरकार के डर को दिखाता है. इसलिए यह मुगलों के इतिहास पर हमला नहीं है बल्कि भारत के समृद्ध ज्ञान परंपरा पर हमला है.



