रायबरेली-ऊंचाहार में एक थानेदार की होती है इबादत , चार दशक बाद उसकी मजार देखने पहुंचे परिजन,,,,

रायबरेली-ऊंचाहार में एक थानेदार की होती है इबादत , चार दशक बाद उसकी मजार देखने पहुंचे परिजन,,,,

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 रिपोर्ट-सागर तिवारी


ऊंचाहार-रायबरेली - पुलिस की छवि पर जहां एक ओर अनगिनत दाग है ,वहीं दूसरी ओर ऊंचाहार के थानेदार रहे हाजी अब्दुल शकूर खान ऐसे पुलिस वाले है , जिनकी आज भी आम जनता इबादत करती है , उनकी मिसाल दी जाती । उनकी मौत के चार दशक बाद शुक्रवार को उनका परिवार ऊंचाहार पहुंचा और उनकी स्मृतियों को देखा है ।
       मूल रूप से बदायूं जनपद के रहने वाले हाजी जी सन 1987 में ऊंचाहार थाना के थानाध्यक्ष थे । उन्होंने अपनी तैनाती के दौरान पूरी पुलिसिंग ही बदल दी थी । अपराध और अपराधियों पर न सिर्फ अंकुश लगाया अपितु पूरी अराजकता को खत्म कर दिया था । गरीबों के रहनुमा और अपनी ईमानदार छवि के कारण वह न सिर्फ ऊंचाहार क्षेत्र में अपितु आसपास के जनपदों में चर्चित थे । न्याय प्रिय कार्यप्रणाली के कारण उनके पास रोज भीड़ लगती थी , गरीबों के हक के लिए उन्होंने ऊंचाहार की बड़ी बड़ी हस्ती को जमीन दिखा दी थी । ईमानदारी का आलम यह था कि उनकी वर्दी में पैबंद लगा रहता था । उस समय कई ऐसे किस्से है , जिसे आज बोल बताते हैं । कई पुलिस वालों द्वारा लोगों से ली गई रिश्वत को उन्होंने वापस कराया और पुलिस वालों को सरेआम जलील भी किया । लोग बताते हैं कि हाजी जी के जमाने में वास्तविक रामराज था । किंतु ऊंचाहार में तैनाती के दौरान ही 11 मार्च 1988 को हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई । उनकी मौत पर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा था । गांव गांव से औरतें , बच्चे , बूढ़े और जवान रोते बिलखते ऊंचाहार पहुंचे थे ।

- *आज भी होती है हाजी जी की इबादत* 

ऊंचाहार के रेलवे लाइन के पास हाजी ही को दफन किया गया था । उनकी मजार बनी हुई है । आज भी हाजी जी की मजार पर गुरुवार को भीड़ लगती है । बड़ी संख्या में हर धर्म के लोग वहां पहुंचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं । कुछ अंधविश्वासी लोग उनकी इबादत करके विभिन्न बीमारियों , मुसीबतों से छुटकारा पाने का दावा भी करते है ।

- चार दशक बाद परिवार आया उनकी मजार देखने 

शुक्रवार को ऊंचाहार के दिवंगत थानेदार हाजी जी की मजार पर उनका परिवार पहुंचा । चार दशक से अधिक समय बीतने के बाद जब हाजी जी का परिवार ऊंचाहार आया तो स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया । शुक्रवार को हाजी जी के भाई फैसल सबूर खान , हाजी जी के बेटे हारून रसीद खान , उनकी दो बहुएं , उनके पोते आए थे । पूरा परिवार उनकी मजार पर गया और वहां उन्हें  श्रद्धासुमन अर्पित की।