रायबरेली-आखिर कौन है सेक्रेटरी आलोक शुक्ला,मनमानी का लगा आरोप

रायबरेली-आखिर कौन है सेक्रेटरी आलोक शुक्ला,मनमानी का लगा आरोप

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मो-8573856824

ग्राम पंचायत अधिकारी आलोक शुक्ला पर मनमानी का आरोप  

रायबरेली-उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही हो,लेकिन डलमऊ ब्लॉक में तैनात कुछ अधिकारी सरकार की छवि को धूमिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला ग्राम पंचायत अधिकारी आलोक शुक्ला का सामने आया है,जिन पर मनमानी और तानाशाही रवैया अपनाने के गंभीर आरोप लगे हैं।ग्रामीणों का आरोप है कि आलोक शुक्ला ने छोटी-छोटी त्रुटियों के आधार पर लगभग 38 जन्म प्रमाण पत्रों को निरस्त कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि एक प्रमाण पत्र का प्रोफार्मा तैयार कराने में लगभग एक हजार रुपए का खर्च आता है, लेकिन सचिव द्वारा मामूली गलती बताकर आवेदन रद्द कर दिए जा रहे हैं। इससे आवेदक परेशान हैं और ग्राम प्रधानों में भी आक्रोश व्याप्त है।ग्राम प्रधानों और ग्रामीणों ने इस संबंध में खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) से शिकायत की है। सूत्रों के अनुसार बीडीओ ने ग्राम पंचायत अधिकारी से स्पष्टीकरण जवाब-तलब मांगा है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि आलोक शुक्ला खुद को मंत्री का आदमी बताते हैं और कहते हैं कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बताया जा रहा है कि इससे पहले आलोक शुक्ला सताव ब्लॉक में तैनात थे, जहां वित्तीय अनियमितताओं और पैसों के हेरफेर के आरोप में उन्हें निलंबित भी किया जा चुका है। ग्रामीणों ने मांग की है कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए,ताकि सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति का सही संदेश लोगों तक पहुंचे। इस संबंध में खंड विकास अधिकारी अशोक कुमार सचान का कहना है कि जिन प्रमाण को निरस्त किया गया है,उनको मैने पुनः जांच करवाने के लिए निर्देशित किया है।