फोरलेन सड़क पर 5 KM तक तिल रखने की नहीं थी जगह, PM मोदी की रैली में टूट गया भीड़ का रिकॉर्ड

फोरलेन सड़क पर 5 KM तक तिल रखने की नहीं थी जगह, PM मोदी की रैली में टूट गया भीड़ का रिकॉर्ड

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोमवार को पूर्णिया में आयोजित सभा पूर्णिया ही नहीं कोसी व सीमांचल के राजनीतिक इतिहास में एक अध्याय बन गया।

खासकर भीड़ के लिहाज से अब तक का सारा रिकॉर्ड इस सभा ने तोड़ दिया।

इसका अनुमान पूर्व से था। इस चलते ही पूर्व निर्धारित सभा स्थल रंगभूमि मैदान को बदलकर शीशाबाड़ी एसएसबी कैंप मैदान ले जाया गया।

इतना नहीं वहां पांच-पांच हैंगर बनाए गए और दो लाख से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था भी की गई। इधर जब भीड़ जुटनी शुरु हुई तो पांचों हैंगर कब भर गया, पता ही नहीं चला। कुर्सी तो दूर लोगों को खड़े होने की जगह तक नहीं मिल रही थी। स्थिति यह हुई कि हैंगर के बाहर भी ठेलम-ठेला शुरु हो गया।

अंतत: पूर्णिया-अररिया फोरलेन सड़क पर ही लोगों की भीड़ जमा होने लगी। बाद में लगभग पांच किलोमीटर दूरी तक फोरलेन सड़क पर भी लोगों को खड़ा होने की जगह नहीं मिलने लगी और काफी संख्या में लोगों को पीएम का संबोधन सुने बिना ही लौटना पड़ा।

यह स्थिति तब थी, जब सभास्थल से किसी भी पार्किग स्थल की दूरी कम से कम पांच किलोमीटर रखी गयी थी। पांच-पांच किलोमीटर पैदल चलकर महिलाएं व बुजुर्ग तक सभा स्थल पर पहुंचने को आतुर थे। पूर्णिया के रुपौली से पहुंचे सुखो मंडल ने बताया कि इतनी परेशानी तो वे उठा ही सकते हैं।

पीएम की झलक पाने को आतुर रहे लोग

किशनगंज की सुगनी देवी ने कहा कि पीएम मोदी को एक झलक देख लेंगे और उनका भाषण सुन लेंगे, सारी परेशानी दूर हो जाएगी। कीचड़मय हो चुके सभास्थल पर कई महिलाओं के चप्पल तक छूट गए, लेकिन वे इसकी फिक्र छोड़ पीएम की एक झलक पाने को आतुर रही।

शहर के निवासी व 77 वर्षीय अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने कहा कि पीएम की सभा में जो भीड़ जुटी, वैसी सभा उन्होंने अपनी जिंदगी में नहीं देखी है। अररिया निवासी 60 वर्षीय गिरिराज यादव ने बताया कि यह सभा पूर्णिया ही नहीं सीमांचल में किसी भी राजनीतिक हस्ती की हुई सभा पर भारी थी। पांच लाख से ज्यादा लोग इस सभा में होंगे।

कटिहार के ललित कुमार ने कहा कि यह एक नया राजनीतिक इतिहास है। इस रिकॉर्ड को तोड़ना शायद निकट भविष्य में किसी के लिए संभव नहीं होगा।

चढ़ता गया दिन, बढ़ती गई भीड़

प्रधानमंत्री के एक बजे अपराहन सभा स्थल पर पहुंचने की घोषणा की गई थी। यद्यपि यह शेडयूल नहीं था, लेकिन भीड़ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से ऐसा किया गया था। इस चलते आगे जगह पाने की ललक में सुबह दस बजे से ही भीड़ जुटने लगी थी। दिन ढलने के साथ भीड़ भरती गई।