फिलस्तीन की आजादी के पक्षधार हसन नसरुल्लाह : शाज़ू नक़वी कर चुका है 27 तारीख को इसराइल ने किए

फिलस्तीन की आजादी के पक्षधार हसन नसरुल्लाह : शाज़ू नक़वी कर चुका है 27 तारीख को इसराइल ने किए

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रिपोर्ट-सागर तिवारी

भारत की विदेश नीति आजाद फिलिस्तीन के समर्थन में फिर सोशल मीडिया पर फिलिस्तीन के नायकों के खिलाफ जहर उगलने की इजाजत क्यों?

भारत सदैव फिलिस्तीन का समर्थक रहा है गांधी नेहरू इंदिरा से लेकर अटल बिहारी वाजपेई तक सभी फिलिस्तीन की आजादी के समर्थक रहे वर्तमान की मोदी सरकार भी यूएनओ में फिलीस्तीन के पक्ष में - खड़ी दिखाई पड़ी इजरायल लगातार काजा में नरसंहार कर रहा है और 50000 से अधिक औरतों और बच्चों की हत्या कर - चुका है ख्वाजा में इजरायल के खिलाफ लड़ रहे हमास का साथ हसन नसरुल्लाह - के नेतृत्व में हिज बुल्लाह दे रहे थे क्योंकि हिजबुल्लाह फिलिस्तीन की आजादी के पछधार हैं पिछले कई दिनों से इजरायल ने लेबनान में भी हवाई हमले शुरू कर दिए हैं और इन हमलों में कई सौ लोगों की हत्या

हवाई हमले में सैयद हसन हसन रसूल समेत कई लोगों की जान ले ली और कई सौ लोग जख्मी हो गए है हिजबुल्लाह के साथ ईरान भी फिलिस्तीनियों के साथ खड़ा है और ईरान भी इजरायल के निशाने पर है परंतु भारत के ईरान से बहुत मैत्रीपूर्ण संबंध है है अभी अ ईरान के राष्ट्रपति की मौत पर भारत सरकार ने अशोक की घोषणा की और फिर नए राष्ट्रपति ग्रहण के समरोह में नरेंद्र मोदी सहित कई लोग शामिल भी हुए अब सवाल यह उठता है कि भारत सरकार क्या हसन नसरुल्लाह समेत फिलिस्तीन की आजादी की लड़ाई लड़ने वालों को आतंकवादी मानती है और यदि ऐसा नहीं है तो लगातार सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक पर जिस तरह का जहर इन नायकों के खिलाफ उबला जा रहा है उसे पर सरकार रोक क्यों नहीं लगती उदाहरण के तौर पर ट्विटर पर

मोदी समर्थक के नाम से वेरीफाइड अकाउंट के द्वारा ईरान के सुप्रीम लीडर पर यह टिप्पणी की जा रही है कि अब ईरान का सुप्रीम लीडर भी मर जाए तो मजा आ जाएगा देश में इस तरह का नफरत का माहौल क्यों खेला जा रहा है यह बात सर्वविदित है ज हैजब हिटलर यहूदियों को चुन चुन कर मार रहा। था तब वहां से कुछ यहूदी भाग कर फिलिस्तीन की सीमा पर जमा होने लगे यह भी कहा जाता है कि हिटलर ने कुछयहूदियों को जिंदा छोड़ दिया था ताकि दुनिया इनके अत्याचार को देखऔर मानवीय आधार पर शरण मांग रहे थे फिलिस्तीन के लोगों ने मानवीय आधार पर नरसंहार झेल रहे इन यहूदियों को अपने यहां शरण दी थी 1948 में इजराइल नामक नाजायज मुल्क वजूद में आया यहूदियों के इस नरसंहार से पहले एक यहूदी व्यापारी के

तौर पर फिलिस्तीन में व्यापार करने के लिए

दाखिल हो चूका था और वह कंपनी बना कर व्यापार करने लगा फिर वहां पर जमीन खरीद कर यहूदियों को बसाने के लिए कुछ जमीन खरीद कर उस पर मकान बनवाये ! जब जर्मन से भागे हुए यहूदियों को यहां शरण मिल गई तो इनकी संख्या बढ़ गई फिर यह फिलिस्तीन मे धीरे-धीरे आगे कब्जा करने लगे वहां औरतों और बच्चों के साथ यह लोग अत्याचार करने लगे और फिर धीरे-धीरे अपने कब्जे को दायरे को बढ़ाते गए और आज दुनिया के ताकतवर देश में अपनी पहचान बना ली कुछ इसी प्रकार ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी भारत में प्रवेश किया था और हमारे देश के हजारों लाखों आजादी के मतवालों ने अपनी जान पर खेल कर इस देश को आजाद कराया था इस प्रकार आज फिलिस्तीन भी अपनी आजादी के लिए लड़ाई लड़ रहा है !

लेख में इनके अपने विचार है,,,,? 
(शाज़ू नक़वी)