Raibareli-प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा किया जा रहा बड़ा खेल, तहसील प्रशासन आखिर क्यों है मौन

Raibareli-प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा किया जा रहा बड़ा खेल, तहसील प्रशासन आखिर क्यों है मौन

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रिपोर्ट-रोहित मिश्रा
मो-7618996633

रायबरेली-जिले की सलोन तहसील क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग का कारोबार बेखौफ हो रहा है। शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर यहां खेत खलिहान की आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री हो रही है। स्थिति यह है कि शहरी इलाकों में रोज कहीं ना कहीं कॉलोनी का नक्शा खींचा जा रहा है। तहसील मुख्यालय और नगर निकाय के अंतर्गत नगर पंचायतों सहित आसपास के इलाकों में इन दिनों अवैध प्लाटिंग का कारोबार जोर-शोर से हो रहा है। नगर पंचायत नसीराबाद व नगर पंचायत परशदेपुर सहित अन्य नगरीय निकाय क्षेत्रों में बड़े स्तर पर अवैध प्लाटिंग का खेल चल रहा है। यहां बिल्डर रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) को दरकिनार कर प्लाट बेच रहे हैं।

शहर व आसपास के गांव से लगे खेतों की बिक्री आवासीय प्लाट के रूप में बेधड़क हो रही है। इन खेतों को प्लाटिंग करने वाले लोग पहले कच्ची सड़क तैयार करते हैं इसके बाद वहां अपने तरीके से प्लाटिंग करते है। कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्सन करना पड़ता है। एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार कॉलोनाइजर एक्ट के तहत सभी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद उसकी खरीदी बिक्री होनी चाहिए, लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कॉलोनी डेवलप हो रही हैं बल्कि खेत खलिहान की आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है।  उत्तरप्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के नियमानुसार किसी भी बिल्डर को जमीन की प्लाटिंग करने से पहले रेरा में रजिस्टेशन कराना अनिवार्य है। इसके अलावा प्लाट बेचने से पहले बिल्डर वहां जन सुविधाओं से जुड़ी चीजें पक्की नाली, पक्की सड़क, बिजली व पानी का इंतजाम, सीवर, खेल मैदान, पार्क आदि की सुविधा उपलब्ध करायेगा मगर सलोन तहसील मुख्यालय और नसीराबाद नगर पंचायत सहित अन्य नगरीय निकायों में अवैध प्लाटिंग का खेल जोरों पर चल रहा है। यहां रोजाना कई एकड़ खेतों की अवैध प्लाटिंग कर खरीददारों को बेचा जा रहा है। यहां प्लाट खरीदने वाले को अंधेरे में रखकर प्लाटिंग की जा रही है। 

रेरा के नियमों का पालन नहीं होने पर बिल्डर पर कार्रवाई का प्रावधान है। गड़बड़ी करने वालों पर जहां रेरा उसकी योजना की लागत का दस प्रतिशत तक जुर्माना कर सकती है। वहीं किसी मामले में एफआइआर होने पर तीन साल की सजा का भी प्रावधान एक्ट में है। रेरा के अनुसार एक्ट की वजह से यह भी तय है कि जिनका पंजीयन रेरा में होगा, उन बिल्डरों या प्लाटिंग डेवलपरों पर लोग भरोसा कर सकेंगे।

*कॉलोनी बनाने, प्लाटिंग के लिए ये है नियम*

नियमानुसार निजी भूमि पर कॉलोनी का निर्माण कराने  अथवा प्लाटिंग से पहले लाइसेंस लेना पड़ता है। कॉलोनाइजर को संबंधित नगर निकाय से डायवर्सन के लिए एनओसी लेनी होगी। कॉलोनाइजर को विद्युत विभाग से भार स्वीकृति के साथ ट्रांसफार्मर, पानी, सड़क, नाली की व्यवस्था कराना होगा। पार्क, कम्यूनिटी सेंटर के लिए भूमि आरक्षित रखनी होगी। टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग से भी कॉलोनी निर्माण के लिए अनुमति लेनी होगी। एक एकड़ से कम क्षेत्र में कॉलोनी बनाई जा रही है तो नगर पंचायत में वर्तमान रेट का 15 प्रतिशत आश्रय शुल्क जमा करना पड़ता है, अगर एक एकड़ से ज्यादा जमीन है तो एयर डिस्टेंस दो किमी के भीतर ईडब्ल्यूएस बनाने के लिए जमीन छोडनी पड़ती है।

*क्या कहना है संबंधित अधिकारियों का*

अवैध प्लाटिंग को लेकर जब संबंधित अधिकारियों से जानकारी मांगी गई तो उनका कहना है कि
''कालोनाइजरों को एक्ट के तहत पंजीयन कराना अनिवार्य है। साथ ही रेरा के दिशानिर्देश के आधार पर कालोनियों का निर्माण कराया जाना है। नगर पंचायत नसीराबाद, परशदेपुर व सलोन में कितने कालोनाइजर पंजीकृत हैं इसकी जानकारी ली जाएगी। जानकारी मिलने पर मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।"