रायबरेली के राजस्व परिषद में अभिलेख तलब,22 साल बाद आदेश निरस्त

रायबरेली के राजस्व परिषद में अभिलेख तलब,22 साल बाद आदेश निरस्त

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)

मो-8573856824

सदर तहसील के नायब तहसीलदार ने दाखिल खारिज के 22 साल पुराने आदेश को निरस्त कर दिया। पुन स्थापना प्रार्थना पत्र आने के बाद यह निर्णय लिया। पीड़ित पक्ष ने नायब तहसीलदार के आदेश को राजस्व परिषद में चुनौती दी है।

राजस्व परिषद के सदस्य (न्यायिक) संजय कुमार सिंह यादव ने अब्दुल गफ्फार आदि के मुकदमे को स्वीकार करते हुए अवर न्यायालय को वाद से जुड़े सभी अभिलेख उपलब्ध कराने के लिए आदेश दिए गए हैं।

परिषद ने वादग्रस्त भूमि के संबंध में किसी तृतीय पक्ष का हित सृजित न करने के आदेश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए एक जुलाई की तिथि तय की है। सदर तहसील क्षेत्र के राही गांव निवासी हजरत अली पुत्र फजल अली ने नौ जून 1992 को अपनी बहन इस्लामुन निशा के पुत्रों अब्दुल गफ्फार, अब्दुल कयूम, मो. मुकीम के नाम अपनी संपत्ति की पंजीकृत वसीयत कर दी थी। वसीयत में हजरत अली ने किसी पुत्र व पुत्री के न होने की बात लिखी थी। किसी को गोद भी न लेने की बात भी वसीयत में लिखी गई।

बाद में दाखिल खारिज के लिए संबंधित कोर्ट में वाद दायर किया गया। चार अप्रैल 2003 को कोर्ट ने अब्दुल गफ्फार, अब्दुल कयूम, मो. मुकीम के पक्ष में दाखिल खारिज करने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद संबंधितों के नाम राजस्व खाते में दर्ज करा दिए गए। वर्तमान में उनका जमीन पर कब्जा भी है।

इस मामले में भांजे के पक्ष में जमीन की वसीयत करने वाले हजरत अली की बेटी महबूब बानों शेख ने एक व्यक्ति को पॉवर ऑफ अटॉर्नी दे दी। साथ ही वर्ष 2003 में जारी दाखिल खारिज आदेश को खारिज कराने के लिए नायब तहसीलदार के कोर्ट में पुन स्थापना अपील दाखिल की। नायब तहसीलदार तेजस्वी

त्रिपाठी ने प्रार्थनापत्र को स्वीकार कर बीती एक फरवरी को पूर्व में चार अप्रैल 2003 को जारी आदेश को निरस्त कर दिया। इस पर आपत्ति जताते हुए अब्दुल गफ्फार आदि ने राजस्व परिषद में नायब तहसीलदार के आदेश को चुनौती दी है।

नायब तहसीलदार सदर तेजस्वी त्रिपाठी

पुर्नस्थापन प्रार्थनापत्र आने के बाद पूर्व के आदेश को सुनवाई के लिए निरस्त किया गया है। दोनों पक्ष ने वंश का अलग-अलग विवरण प्रस्तुत किया है। मामले की फिर से सुनवाई शुरू की गई है। न्यायहित में यह निर्णय लिया गया है।