रायबरेली-अकीदत के साथ अदा की गई अलविदा की नमाज,,,,

रायबरेली-अकीदत के साथ अदा की गई अलविदा की नमाज,,,,

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    रिपोर्ट-सागर तिवारी 

ऊंचाहार -रायबरेली-अलविदा जुमा पर नमाजियों ने अकीदत के साथ नमाज़ अदा किया, और इसी नमाज़ के साथ माहे रमजान के जाने का आगाज़ हो चुका है। नमाज़ के बाद नमाजियों ने वतन में चैन अमन आमन विश्व के कल्याण होने की दुवा मांगी। 
        करीब एक माह से चल रहे पवित्र रमजान महीना के जाने का आगाज़ अलविदा जुमा के नमाज़ बाद हो चुका है। यह रमजान महीने पड़ने वाला आखिरी जुमा था। इसके बाद पूरे एक साल तक अब रमजान के महीने में जुमा नहीं पड़ेगा। मुसलमान अब ईद तैयारियों में जुट गए हैं। नए पोशाक, जूतों चप्पलों की दुकानों सहित सिवईयों की दुकानें गुलज़ार हो गई इनमें बिक्री तेजी से बढ़ गई हैं। 
फ़ित्रा और जकात भी निकालने में भी तेजी। 
मुसलमानों ने फ़ित्रा और जकात निकालने में भी रफ्तार पकड़ लिया है। फ़ित्रा एक तरह से सदका है इसे हर मुसलमान को रमजान के महीने में गरीब मस्कीन को देना आवश्यक है। जबकि जकात कभी भी निकाला जा सकता है। 

क्या होता है फ़ित्रा और जकात ।
हाफिज व कारी।  मौलाना गुलाम जिलानी बताते हैं कि 
फ़ित्रा एक तरह का फर्ज सदाकत है। जो रमजान के आखिरी अशरे में दी जाती है। यह गरीबों और मुस्कीनो का हक होता है। फ़ित्रा की कीमत 2 किलो 47 ग्राम गेहूं या उसके बराबर की रकम हो।  फ़ित्रा की रकम प्रति व्यक्ति 67 रुपए 50 पैसे आंकड़े के अनुसार। कई जगह अलग अलग गेहूं के की कीमत होने के चलते लगभग यह 70 रुपए सुनिश्चित है ( अनुमानित)
इसे रमजान के पवित्र महीने में देना अनिवार्य होता है यह गरीबों का हक भी है। फ़ित्तरा का मकसद रमजान के महीने की इबादत को पूरा करना और गरीबों की ईद की खुदी में शामिल करना है। यदि यह फ़ित्रा की रकम ईद की नमाज़ से कब्ल नहीं अदा की जाती तो ईद की नमाज़ खुदा कुबूल नहीं करता। जबकि जकात पूरे साल में कभी निकाल सकते है जकात निकालना फर्ज होता है। किन्तु रमजान के महीने में अधिक सवाब होने के चलते अधिकांश लोग इसी महीने में निकालते हैं। मुसलमानों को अपने हैसियत यानि कुल सम्पत्ति  सोना 7 तोला या 52.5 तोला चांदी या इसके बराबर माले गनीमत का 2.5 प्रतिशत जरूरत मन्द को देना अनिवार्य है। फ़ित्रा की रकम ईद की नमाज़ से पहले अदा करना अति आवश्यक है। जकात निकालने का मकसद अपनी दौलत को धार्मिक तौर पर शुद्ध करना है। जकात कि रकम अपनी सम्पत्ति पर निर्भर करती है।