रायबरेली-धान खरीद हेतु खोले गए सरकारी केंद्रों पर सन्नाटा लक्ष्य से काफी दूर है खरीद,,,

रायबरेली-धान खरीद हेतु खोले गए सरकारी केंद्रों पर सन्नाटा लक्ष्य से काफी दूर है खरीद,,,

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   रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार-रायबरेली-धान खरीद हेतु खोले गए सरकारी केंद्रों पर सन्नाटा है । किसान सरकारी खरीद केंद्रों की अपेक्षा गांव में बनियों को अपनी उपज बेचना उचित समझते हैं । सरकार द्वारा ए ग्रेड धान का समर्थन मुख्य 2320 रूपये करने के बावजूद किसान खरीद केंद्रों से दूरी बढ़ाए हैं।
      क्षेत्र के गांव सावापुर गाँव के ओम प्रकाश यादव के गाँव का नजदीकी सरकारी खरीद केंद्र उनके धान की बेहतर कीमत लगा रहा था। लेकिन वह वहां नहीं गए, उन्होंने अपना 40 क्विंटल धान एक निजी व्यापारी को बेचना पसंद किया।उन्होंने गाँव कनेक्शन को इसकी वजह बताते हुए कहा, “मुझे कहीं जाना नहीं पड़ा। मैंने सीधे अपने खेत से इसे व्यापारी को बेच दिया और तुरंत पैसा भी मिल गया। भले ही व्यापारी ने उपज को 1,900 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा हो, जो कि सरकार के समर्थन मूल्य (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से 140 रुपये कम है।” 45 साल के यादव के पास चार बीघा (लगभग एक हेक्टेयर) खेत हैं।  यह केवल एक किसान की बात नहीं है , क्षेत्र के अधिकांश किसानों की यही कहानी है । यही कारण है कि क्षेत्र के मनीराम पुर गांव स्थित भारतीय खाद्य निगम के खरीद केंद्र पर अब तक मात्र 450 क्विंटल धान की खरीद हुई है , जबकि खरीद का कुल लक्ष्य 15000 क्विंटल है । इसी तरह पटेरवा  गांव स्थित पीसीएफ खरीद केंद्र पर मात्र 3335 क्विंटल धान खरीदा गया है , जबकि इसका खरीद लक्ष्य दस हजार क्विंटल है । 


किसानों की मन की बात,,,, 

क्षेत्र के गांव गंगेहरा गुलालगंज निवासी मातादीन बताते हैं कि उन्होंने सरकारी केंद्र पर गेहूं बेचा और उसका भुगतान मिल गया । किंतु गांव के बड़ी संख्या में निजी दुकानदारों को गेहूं बेचा है , इसका कारण यह है कि खरीद केंद्रों पर छनना लगाकर केवल ए ग्रेड का धान लिया है रहा है । उधर हटका गांव निवासी अजय कुमार ओझा बताते हैं कि केंद्रों पर उपज बेचने के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं , इसलिए किसान परेशानी से बचने के लिए अपने घर से ही धान बेच रहे है। मोखरा गांव की जग देई और नेवादा गांव के अर्जुन का कहना है कि गांव में खरीदार हर तरह का धान आसानी से खरीद रहे है । इसलिए किसान उन्हीं को अपनी उपज बेच रहे हैं।