जिस केस से हिल गई थी अखिलेश सरकार, योगी राज में आया उसका फैसला, 10 को हुई उम्रकैद

जिस केस से हिल गई थी अखिलेश सरकार, योगी राज में आया उसका फैसला, 10 को हुई उम्रकैद

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यूपी के प्रतापगढ़ सीओ रहे जियाउल हक हत्याकांड के मामले कोर्ट का फैसला आ गया. सभी 10 आरोपियों को मामले में दोषी पाये जाने पर उम्रकैद की सजा सुनाई गई. लखनऊ की CBI की स्पेशल कोर्ट में सजा सुनाई गई. कोर्ट ने इस चर्चित मामले में बीते 5 अक्टूबर को सभी 10 आरोपियों को दोषी करार दिया था.

डीएसपी जिलाउल हक हत्याकांड के मामले में 11 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है. इसमें दोषी फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ ​​बुल्ले पाल को सजा सुनाई गई.

प्रतापगढ़ के कुंडा का चर्चित जियाउल हक हत्याकांड चर्चित हुआ था, क्योंकि सीओ की हत्या का आरोप कुंडा के बाहुबली विधायक और मंत्री रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया पर लगा था. उनको अखिलेश सरकार से इस्तीफा तक देना पड़ा था. सीओ की हत्या का आरोप कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया और उनके कई करीबियों पर लगा था. हालांकि जांच के दौरान ही सीबीआई ने राजा भैया को क्लीन चिट दे दिया था. इस चर्चित हत्याकांड में उनकी कोई भी साजिश नहीं मिली थी.

बता दें कि, घटना की शुरूआत 2 मार्च 2013 को बलीपुर गांव में शाम को प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या से हुई थी. जिसके बाद प्रधान के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे. गांव में इस कदर बवाल हो रहा था कि कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ यादव के घर की तरफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके. तभी पुलिस क्षेत्राधिकारी (CO/DSP)जियाउल हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े.

वहां गांव के लोग फायरिंग कर रहे थे. जिससे डरकर CO हक की सुरक्षा में तैनात गनर इमरान और SSI कुंडा विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए. इसके बाद हक के ग्रामीणों ने घेर लिया. इसी बीच गोली लगने से नन्हे सिंह यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की मौत हो गई थी. इससे बौखलाए गांव वालों ने जियाउल हक को घेर लिया. लाठी-डंडों से पीट-पीटकर उन्हें अधमरा किया गया और फिर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी.