रायबरेली-भागवत कथा के अंतिम दिन सुनाई भगवान के विभिन्न विवाहों की कथा

रायबरेली-भागवत कथा के अंतिम दिन सुनाई भगवान के विभिन्न विवाहों की कथा

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     रिपोर्ट-सागर तिवारी

- भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं को बलि देने से रक्षा की 


ऊंचाहार-रायबरेली - क्षेत्र के कंदरावा गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक श्री अनिमेष जी महराज ने भगवान कृष्ण के कुल  16 हजार 108 विवाहों की कथा सुनाई । उन्होंने कहा कि भूमासुर राक्षस से उन्होंने 16 हजार कन्याओं को मुक्त कराया था । जिसे वह बलि देने जा रहा था ।
      कथा का आरंभ यजमान विजय सिंह द्वारा सपत्नीक की गई आरती से हुआ । इसके बाद बस्ती से पधारे कथावाचक ने बताया कि पुराणों के मुताबिक, एक दानव भूमासुर ने अमरता पाने के लिए 16,000 कन्याओं की बलि देने का फ़ैसला किया था।भौमासुर ने इन कन्याओं को बंदी बनाकर रखा था।इन कन्याओं ने द्वारकाधीश के पास रक्षा के लिए संदेश भेजा ।द्वारकाधीश ने सत्यभामा के साथ भौमासुर के पास जाकर देखा।
द्वारकाधीश ने इन कन्याओं को बंधन से मुक्त कराया।इन कन्याओं के परिवारवालों ने इन्हें अपनाने से इनकार कर दिया। 
तब श्रीकृष्ण ने 16,000 रूपों में प्रकट होकर एक साथ उनसे विवाह किया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण की पहली पत्नी रुक्मिणी थीं। रुक्मिणी, विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। इन्हें देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है।श्रीकृष्ण का दूसरा विवाह जाम्बवन्ती से हुआ था। जाम्बवन्ती, जामवंत जी की पुत्री थीं। श्रीकृष्ण की तीसरी पत्नी सत्यभामा थी। सत्यभामा, सत्राजित की पुत्री थीं। श्रीकृष्ण की चौथी पत्नी कालिन्दी थीं। कालिन्दी, सूर्यदेव की पुत्री थीं।
एक दिन कृष्ण वन विहार के दौरान अर्जुन के साथ उज्जयिनी गए और वहां की राजकुमारी मित्रविन्दा को स्वयंवर से वर लाए।भगवान श्रीकृष्ण ने कौशल के राजा नग्नजित के 7 बैलों को एकसाथ नाथ कर उनकी कन्या सत्या से विवाह किया।सत्या के बाद उनका कैकेय की राजकुमारी भद्रा से विवाह हुआ।
भद्र देश की राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण को चाहती थी, लेकिन परिवार कृष्ण से विवाह के लिए राजी नहीं था। बाद में उन्होंने लक्ष्मणा से विवाह किया ।
     इस मौके पर प्रमुख रूप से जिला पंचायत अध्यक्ष रंजना चौधरी , वरिष्ठ कांग्रेस नेता अरुण सिंह , प्रधान पवन सिंह , सुरेश सिंह , त्रिवेणी सिंह उर्फ बबलू समेत सैकड़ो की संख्या में महिलाएं पुरुष मौजूद थे ।