Raibareli-निजी भूमि पर तालाब निर्माण कराने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना वरदान हो रही साबित

Raibareli-निजी भूमि पर तालाब निर्माण कराने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना वरदान हो रही साबित

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रिपोर्ट-शिवम त्रिवेदी

रायबरेली-जनपद में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजनान्तर्गत (निजी भूमि में तालाब निर्माण एवं निवेश) में चयनित लाभार्थियों को तालाब निर्माण कराये जाने का लाभान्वित किया जा रहा है जो चयनित लाभार्थियों के लिए योजना वरदान साबित हो रही है। उक्त योजनान्तर्गत विकासखंड रोहनिया की ग्राम रामगंज की रहने वाली श्रीमती श्वेता सिंह ने घर गृहस्थी के साथ कुछ और करने की इच्छा जागृत हुई। इन्होने ग्राम रामगंज विकासखंड रोहनिया में स्थित अपनी निजी भूमि जिसका क्षेत्रफल 0.850 हे0 का चयन मत्स्य पालन हेतु किया। तत्पश्चात मत्स्य विभाग से सम्पर्क कर मत्स्य विभाग द्वारा संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना में अपना आवेदन कर मत्स्य विभाग की देख-रेख में तालाब निर्माण का कार्य किया तथा अनुकूल समय पर निर्मित तालाब में मत्स्य बीज का संचय किया एवं लगभग 7-8 माह में पंगेशियस एवं मेजर कार्प मछली का 65 कुंतल प्रति हे0 की दर से 55 कुंतल मत्स्य उत्पादन किया, जिसमें लगभग रू0 4.00 लाख का मुनाफा कमाया। अब इका जीवन खुशहाल है तथा यह अन्य महिलाओं का कार्य करते है।
इसी प्रकार विकास खण्ड अमावां की ग्राम बावन बुजुर्ग बल्ला के निवासी सुजीत कुमार चौधरी एक साफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जो कि विदेश में रहकर नौकरी करते थे। वहां पर इनका मन नहीं लगा तो यह सब छोड़ अपने वतन वापस आ गये और मत्स्य पालन का कार्य करने का मन बनाया तथा मत्स्य विभाग से सम्पर्क कर मत्स्य पालन करने की जानकारी ली। तत्पश्चात इनके द्वारा 2.00 हे0 भूमि किराये पर लेकर संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना में तालाब निर्माण एवं निवेश योजना में आवेदन कर तालाब निर्माण का कार्य कराया गया, जिसमें इन्हें मत्स्य विभाग द्वारा रू0 8.80 लाख अनुदान के रूप में प्राप्त हुआ, जिसमें इनके द्वारा निर्मित तालाब में लगभग 180-190 कुन्तल प्रति हे0/प्रति वर्ष पंगेशियस मत्स्य उत्पादन करते हैं।
सुजीत कुमार चौधरी द्वारा वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन ही उनके अन्य किसानों से अलग करता है, जिसमें नवीन तकनीक का प्रयोग करते हुए लगभग 6 माह में पंगेशियस मछली का उत्पादन करते है। इस प्रकार वर्ष में दो बार मत्स्य उत्पादन लेते है। वैज्ञानिक तकनीक द्वारा अत्याधिक उत्पादन की उपलब्धि के दृष्टिगत भारत सरकार द्वारा विश्व मात्स्यिकी दिवस 21 नवम्बर, 2022 को राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड द्वारा ‘‘बेस्ट इनलैंड फिशरीज फार्मर‘‘ के रूप में प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है। इनके द्वारा वर्तमान में लगभग 13.00 हे0 से 14.00 हे0 में ग्राम बावन बुजुर्ग बल्ला में पंगेशियस मत्स्य उत्पादन का कार्य किया जा रहा है एवं ग्राम निनांवा, परशदेपुर में लगभग 14.00 हे0 से 15.00 हे0 में तालाब निर्माण का कार्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इनके द्वारा ग्राम बावन बुजुर्ग बल्ला में ही प्रायोगिक तौर पर झींगा पालन शुरू किया गया है, जिसके उत्साहजनक परिणाम को देखते हुए इनके द्वारा भविष्य में व्यापक स्तर पर झींगा पालन करने की इच्छा है। भविष्य में इनके द्वारा मत्स्य पालन के क्षेत्र में फिश हब स्थापित करना चाहते है, जिसमें प्रयोगशाला के साथ-साथ युवाओं को मत्स्य पालन से जुड़ी तकनीकी जानकारी देने की व्यवस्था होगी।