रायबरेली-ट्रेन हादसे में दोनो पैर गवा चुके हारून, नही करा पा रहा इलाज,,,,?

रायबरेली-ट्रेन हादसे में दोनो पैर गवा चुके हारून, नही करा पा रहा इलाज,,,,?

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रिपोर्ट-सागर तिवारी


ऊंचाहार-रायबरेली-मजहरगंज के पास गुरुवार की रात ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर गंवा चुके क्षेत्र के बड़उआ मजरे खोजनपुर गाँव के रहने वाले मो हारून सिस्टम की लाचारी के आगे बेबस होकर घर पर ही इलाज के लिए हाकिम से मदद की गुहार लगा रहे हैं, जबकि हारून को आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार ने पांच लाख रुपये तक के निःशुल्क इलाज का कार्ड भी सौंपा है, वहीं हारून की हालत देखकर उनकी पत्नी व बेटियों की आंखे नम है कि अब किसके सहारे परिवार चलेगा।
दरअसल पूरा मामला गुरुवार रात का है जब बड़उआ खोजनपुर गाँव के रहने वाले मो हारून रात में निमंत्रण में जा रहे थे उसी दौरान कानपुर प्रयागराज रेलखंड मार्ग मजहरगंज के पास वो ट्रैक पार करते समय मालगाड़ी की चपेट में आ गए, जिससे उनके दोनों पैर कट गये, जिसके बाद उन्हें सीएचसी फिर जिला अस्पताल और फिर लखनऊ ट्रामा सेंटर भेजा गया आरोप है कि  शनिवार को ट्रामा सेंटर के डॉक्टरों ने उसे ये कहकर घर भेज दिया हमारे यहां एडमिट करने की जगह नहीं है पीड़ित का कहना है कि उसने आयुष्मान भारत योजना का भी हवाला जिसके बाद भी उसे वहां से निकाल दिया गया जिसके बाद परिजन उसे घर लेकर आ गये, रविवार को जानकारी होने पर नगर के ही रहने वाले बसपा नेता व समाजसेवी मो शाहिद उर्फ राजू ने पीड़ित के घर पहुंचकर उसे हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाया, रविवार को कवरेज के दौरान पीड़ित ने कैमरे पर पूरी दास्तां सुनाते हुए प्रशासन व सरकार से मदद की गुहार लगायी है,पत्नी साबिरा पति की व बेटी सबाना, मुस्कान शहनाज व नाजरीन की आंखे पिता के हालात को देखकर नम हो जाती है, लेकिन सवाल यहां खड़ा होता है कि जिस आयुष्मान भारत योजना को लेकर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री गरीब के निशुल्क इलाज का दावा करते है तो वहीं दूसरी ओर उनके मातहत ही उनके दावे को खोखला करने में जुटे हैं ।
सबसे बड़ी बात ये है कि जिसके सहारे परिवार का भरण पोषण होता था उसकी ऐसी हालत हो जाने पर परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है।