रायबरेली-नेहरू के व्यक्तित्व में व्यावहारिकता और आदर्शवादिता का समन्वय

रायबरेली-नेहरू के व्यक्तित्व में व्यावहारिकता और आदर्शवादिता का समन्वय

-:विज्ञापन:-



     रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार - रायबरेली -बाल दिवस पर गुरुवार को विभिन्न विद्यालयों में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए ।इन कार्यक्रमों में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के व्यक्तित्व पर चर्चा हुई और उनमें बाल प्रेम के गुणों को सर्वश्रेष्ठ बताया गया।
     नगर के माय छोटा स्कूल में बाल मेले का आयोजन किया गया । जिसका उद्घाटन एसडीम सिद्धार्थ चौधरी ने किया । इस मौके पर एसडीएम ने बच्चों को शुभकामनाएं दी , और कहा कि नेहरू के व्यक्तित्व में व्यवहारिकता और आदर्शवादिता दोनों गुणों का समन्वय था। जो कि एक दुर्लभ गुण है। नेहरू के विचारों में पश्चिमी सभ्यता व आधुनिकता का समावेश था। स्वाभाविक रूप से लोकतंत्र के समर्थक पंडित नेहरू संसद व कांग्रेस को साथ लेकर चलते रहे। अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए संवैधानिक नियमों के अनुरूप दक्षतापूर्वक कार्य करने में उन्होंने कभी संकोच नहीं किया। इस मौके पर प्रमुख रूप से खंड शिक्षा अधिकारी रिचा सिंह , नगर पंचायत अध्यक्ष ममता जायसवाल , स्कूल प्रबंध मेनका कपूर , संरक्षक आशा महेंद्र , खुशी , प्रिया, रूपम , मोहनी, ऋतु आदि मौजूद थे । 
     उधर नगर के आदर्श सरस्वती ज्ञान मंदिर में बच्चों ने इस अवसर पर विभिन्न व्यंजनों के स्टाल लगाकर बाल मेले की रौनक बढ़ाई । यहां पर पंडित नेहरू के बारे में चर्चा करते हुए स्कूल प्रबंधक विनय सिंह ने कहा कि राष्ट्रवाद के प्रति उनकी मानसिकता संकीर्ण नहीं थी। वे राष्ट्रीयता के गुणों को भली-भांति समझते थे। इसीलिए उन्होंने देश को एक संतुलित, संयमशील एवं आदर्श राष्ट्रवाद के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि नेहरू का राजनीतिज्ञ के रूप में सबसे महत्वपूर्ण कार्य भारतीय राजनीतिक प्रणाली में लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास करना और भारत में लोकतंत्र को खड़ा करना था। नेहरू संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांत और व्यवहार के प्रबल समर्थक थे। उनकी दृष्टि में राजनीतिक लोकतंत्र अपने आप में साध्य नहीं बल्कि वह भारत के लाखों करोड़ों लोगों के दुख-दर्द और गरीबी दूर करने का साधन मात्र था। उन्होंने लोकतंत्र के साथ स्वतंत्रता और समानता के अटूट संबंध को स्वीकार किया। उनका मानना था कि समानता के बगैर स्वतंत्रता और लोकतंत्र का कोई अर्थ नहीं है। इस मौके पर स्कूल के प्रधानाचार्य विनय त्रिपाठी के अलावा सम्पूर्ण स्टाफ और अभिभावक गण मौजूद थे ।