प्रतिभा किसी भी परिचय की मोहताज नहीं होती

प्रतिभा किसी भी परिचय की मोहताज नहीं होती

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रिपोर्ट-ओम द्विवेदी(बाबा)
मो-8573856824

प्रतिभा किसी भी परिचय की मोहताज नहीं होती।
 जिनके पंख नहीं होते बस हौसले होते है 
उनके हौसले ही उनके पंख होते है 
ठीक ऐसा ही कुछ किया डलमऊ क्षेत्र के एक नवयुवक यशवर्धन द्विवेदी ने 
पिता पत्रकार सुनील द्विवेदी से अक्षरों की मर्यादा व शब्दों की कुशलता को विरासत समझकर अपने सिरोधारय रख कर यशवर्धन ने क़ाव्य कविता और शायरी मे खुद को यथार्थ करने का निश्चय किया 
और देश के सबसे बड़े ओपन माइक poetry शो the realistic dice मे अपनी भाषा को क़ाव्य के रूप मे प्रस्तुत कर के अपना अपने परिवार का तथा क्षेत्र का नाम रोशन किया 
यशवर्धन इस शो मे जाने वाले डलमऊ के पहले युवक है 
उनका मन मे उनकी मातरभूमि व जन्मभूमि डलमऊ कुछ इस कदर विराजित है की जहा सबने अपने शहरो का नाम बताया वहा यशवर्धन् ने अपने क्षेत्र अपनी मा समान देव नगरी डलमऊ को कुछ इस कदर परिभाषित किया की ......

बाबा हनुमान के आशीर्वाद के नीचे 
अपनी मा गंगा के आँचल मे खेलूंगा 
तुम रख देना जन्नत जैसे हज़ारो विकल्प मेरे सामने 
मै फिर भी अपना डलमऊ चुनूंगा
और सुकून जहा हर वक़्त चार सु पसंद आया 
घूमने को कई जगह थी मुझे मेरी गंगा मैया का किनारा पसंद आया

ये पंक्तिया किसी भी डलमऊ निवासी के लिए गर्वोक्ति भरी पंक्तिया है 
यशवर्धन के पिता पेशे से एक सम्मानित पत्रकार है और मा एक गृहणी है 
और यशवर्धन द्विवेदी का क़ाव्य और शायरी के प्रति प्रेम व उनके शब्दों का जूनून जो उन्हे उनके पिता से मिला उससे देख कर तो वही बात सच लगती है 
की ऊंची उड़ान के लिए बने परिंदो को पंख खोलना सिखाना नहीं पड़ता