रायबरेली-ऐश यूटिलाइजेशन व मैनेजमेंट में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा,,,,,,?

रायबरेली-ऐश यूटिलाइजेशन व मैनेजमेंट में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा,,,,,,?

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रिपोर्ट-सागर तिवारी 
मो-8742935637



भ्रष्टाचार में शामिल है राख उपयोगिता प्रकोष्ठ का प्रमुख अधिकारी*

> *मामले का खाका पहुंचा समाधान दिवस में,उपजिलाधिकारी ने कहा जांच होगी*


ऊंचाहार,रायबरेली ।  एनटीपीसी राख उपयोगिता प्रकोष्ठ में तैनात जिम्मेदारों की सांठ गांठ से फर्जी कंपनियों को राख देने व ओवरलोडिंग करवाने का बड़ा खुलासा हुआ है ।
बताया जा रहा है कि ये गोरखधंधा एनटीपीसी के अधिकारियों व संविदाकर्मियों की साठ गांठ से खेला जा रहा है। 
मामले का खुलासा तब हुआ जब एनटीपीसी के ही संविदा संविदा कर्मी रहे व्यक्ति ने कोतवाली में चल रहे समाधान दिवस में पहुंच कर अपनी समस्या प्रभारी अधिकारी समाधान दिवस यानी उपजिलाधिकारी ऊंचाहार के समक्ष रख दी ।
पूरे मामले का लिखित रूप से खाका समाधान दिवस में दिया गया है ।
वंशपुर  मजरे इटौरा बुजुर्ग निवासी पंकज पांडेय ने दिए आरोप पत्र में खुलासा किया है कि एनटीपीसी के राख उपयोगिता प्रकोष्ठ में  तैनात अरविंद कुमार राय व संजय यादव द्वारा वाहनों में ओवरलोडिंग करवाई जाती है जिसके एवज में जमकर अवैध धन उगाही की जाती है ।
ये अवैध धन उगाही  संविदा कर्मी कर्मचारियों से करवाई जाती है ।
दिए गए आरोप पत्र में बताया गया है कि उक्त लोगों के द्वारा 18 कंपनियों को फर्जी दस्तावेजों के सहारे राख दी गई है  जिसमे 3 से 4 ही वास्तविक कंपनियां है । 
दिए गए आरोप पत्र में बताया गया है कि विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक अरविंद कुमार के द्वारा स्वयं आकर अवैध वसूली का पैसा लिया जाता था ।
बताया गया है कि इस गोरखधंधे के माध्यम से एनटीपीसी की करोड़ों रुपए की राख का नुकसान किया गया है ।
यानी मामला बड़ा है क्योंकि इस गोरखधंधे का सरगना कोई और नहीं विभाग का मुख्य अधिकारी ही है।
पंकज का आरोप है कि इसी ओवर लोडिंग का विरोध करने पर उसे नौकरी से बेबुनियादी आरोप लगाकर निकाल दिया गया और उसकी जगह पर संजय यादव उक्त के रिस्तोदारों को रख लिया गया ।
फिलहाल इस बड़े खुलासे के बाद संबंधित लोगों में अफरा तफरी का माहौल है।



*राख उपयोगिता प्रकोष्ठ  के इस बड़े खुलासे के पीछे हैं कई सवाल ?*

ऊंचाहार, अरखा ऐश डाइक से ओवर लोडिंग  का बड़ा खेल लंबे अर्से से खेला जा रहा है ।
यहां से ओवरलोड होकर गाड़िया हाइवे से ही कई प्रदेशों में जाती हैं बावजूद इसके न ही इसपर परिवहन विभाग ध्यान दे रहा है न   अन्य जिम्मेदार।
सवाल बड़ा है कि आखिर इस बड़े गोरख धंधे पर अभी तक अधिकारियों की निगाहें क्यों नही गई ?
सवाल ये भी है कि कहीं परिवहन विभाग के अधिकारी भी तो इस प्रकरण में संलिप्त तो नही ?