रायबरेली-आज सूप पीटकर होगा नारायण भगवान का अभिनन्दन , महिलाएं भगाएगी दरिद्रता

रायबरेली-आज सूप पीटकर होगा नारायण भगवान का अभिनन्दन , महिलाएं भगाएगी दरिद्रता

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     रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार-रायबरेली -हमारा समाज परंपराओं से भरा हुआ है । ऐसी ही एक लोक परम्परा देवोत्थानी एकादशी की रात बाद ब्रह्मकाल में सदियों से निभाई जा रही है । जिसमें महिलाएं सूप पीटकर भगवान का स्वागत करती है और दरिद्रता को भगाती है। यह परंपरा पूरे क्षेत्र में बुधवार प्रातः निभाई जाएगी ।
      देवोत्थानी एकादशी की अगली भोर में दरिद्र भगाने की सदियों की परंपरा आज भी कायम है। इसकी शुरूआत कब हुई, इसका सही अनुमान लगा पाना कठिन है लेकिन, इसे अब भी निभाया जा रहा है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में देवोत्थानी एकादशी की अगली भोर में परिवार की महिलाएं बांस के बने सूप से दरिद्र को खदेड़ने का काम करती हैं।
मान्यता है कि दरिद्र भगाने से घर में पूरे वर्ष सुख, समृद्धि व शांति बनी रहती है। यह प्रथा लगभग हर घरों में निभाई जाती है। भोर में महिलाएं घर को दरिद्रता से दूर रखने के लिए बांस की सूप को घर के कोने-कोने में बजाती हैं। सदियों से चल आ रही इस परंपरा के अनुसार सूंप बजाकर दरिद्र भगाने का संबंध सुख समृद्धि से जोड़ा गया है। देवोत्थानी एकादशी की रात के बाद ब्रह्मकाल की अमृत बेला में परिवार की महिलाएं बांस के बने सूप को गन्ने के पीछे वाले भाग के डंडे से पीटती हुई मकान के हर कोने तक ले जाती हैं और दरिद्र भागे का उच्चारण करती रहती हैं। इसके साथ ही परिवार की दूसरी महिला तेल से दीपक जलाकर साथ चलने की भी परंपरा हैं। इसके बाद महिलाएं उक्त पात्र को गांव के बाहर लेकर जाकर निश्चित स्थान पर फेंक देती हैं। सदियों से यह परंपरा निभाने के बावजूद गरीबों की गरीबी तो दूर नहीं हुई लेकिन, अनेक घरों में यह प्रथा और तेजी से निभाई जाने लगी। वहीं जिस घर में किसी व्यक्ति को चर्म रोग होता है तो उस घर की महिलाएं सूप दौरी को आग में जला देती हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से चर्म रोग दूर हो जाता है।