रायबरेली-लोक परम्परा का अद्भुद पर्व बेसौढ़ा पर हुई मवेशी पूजा , खिलाए पकवान

रायबरेली-लोक परम्परा का अद्भुद पर्व बेसौढ़ा पर हुई मवेशी पूजा , खिलाए पकवान

-:विज्ञापन:-




    रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार - रायबरेली - हमारा समाज विभिन्न परंपराओं से भरा हुआ है । पूर्ण रूप से प्रकृति को श्रेष्ठ मानने का कई विधान हमारी परंपराओं का हिस्सा है । इसी परंपरा का एक अद्भुद लोक पर्व बेसौढ़ा सोमवार को मनाया गया । जिसमें पालतू मवेशियों की पूजा की गई , और घर के अपशिष्ठ को फूलों से सजाकर बस्ती से दूर फेंका गया । इस दौरान पालतू मवेशियों को पकवान खिलाया गया ।
     अवध क्षेत्र में इस पर्व को ग्रामीण क्षेत्रों विशेषकर पशु पालकों में खासा महत्व है । भारत के कुछ क्षेत्र में होली के बाद आने वाली सप्तमी तिथि को 
बेसौढ़ा पर्व शीतला माता की पूजा का पर्व मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र में यह पर्व भादौ मास के अंतिम रविवार के बाद आने वाले सोमवार को मनाया जाता है । ये पशुओं की पूजा का लोक महत्व का पर्व है । सोमवार को सुबह गांव गांव छोटे छोटे बच्चों ने भिक्षा मांगी और भिक्षा में मिले अन्न को बेंचकर पूजा सामग्री खरीदी गई । जिससे पकवान बनाकर मवेशियों के बांधे जाने वाले खूंटे की पूजा करके ईश्वर से यह कामना की गई कि उनके यहां हमेशा मवेशी भरे रहें , मवेशियों को कोई बीमारी न हो । इस दौरान बने हुए पकवान को मवेशियों को खिलाया गया । इससे पूर्व प्रातः एक हांडी में मवेशियों के गोबर , घर के अपशिष्ट को भरकर उसे फूलों से सजाया गया और इसको गांव से दूर एक निश्चित स्थान पर युवाओं और बच्चों ने फेक कर जश्न मनाया । उसके बाद पास के सरोवर में सभी के सामूहिक रूप से स्नान किया । गंगा तट के किनारे गांव के लोगों ने गंगा स्नान किया और उसके बाद पूजा अर्चना की ।