काशी में मां अन्नपूर्णा के खजाने से बांटे गए 6.50 लाख सिक्के, मां ने पहना नवरत्नों का हार

काशी को अन्न-धन से भरने वालीं मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन 354 दिन बाद एक बार फिर धनतेरस से शुरू हो गए। यह सिलसिला दो नवंबर की रात ग्यारह बजे तक चलता रहेगा। श्रद्धा ऐसी कि 24 घंटे पहले से ही श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए कतारबद्ध हो गए।
चार किलोमीटर से अधिक लंबी अटूट कतार शयन आरती तक चलती रही। पांच दिवसीय उत्सव के पहले ही दिन 6.50 लाख सिक्के श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में बांटे गए। इसमें चांदी, पीतल, तांबे के सिक्कों के साथ नवरत्नों का खजाना बांटा गया। मंदिर प्रशासन के मुताबिक, शयन आरती तक करीब 2.65 लाख श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए।
कई राज्यों से आए श्रद्धालु
माता के खजाने और स्वर्णिम स्वरूप के दर्शन के लिए देश भर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मंगलवार को कोलकाता, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ ही दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं की संख्या सबसे अधिक रही। धनतेरस से अन्नकूट यानी पांच दिनों तक भक्तों को माता के दर्शन होंगे।
स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन-पूजन व खजाना लेने पहुंची भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। साल में सिर्फ पांच दिनों के लिए ही भक्तों को मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन होते हैं। अन्नपूर्णा मंदिर में भक्तों के दर्शन लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहे। आलाधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। मंदिर में बने कंट्रोल रूम से लगातार निगरानी गई।
चिकित्सा शिविर में दो हजार भक्तों को दवा दी गई। इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा रही। डॉ. दिवाकर ने बताया कि डॉक्टरों ने निशुल्क परामर्श भी दिया है। वहीं, मंदिर के सेवादार श्रद्धालुओं को जलपान कराया। दिव्यांग और बुजुर्ग श्रद्धालुओं को प्रथम तल पर ले जाकर दर्शन भी कराया।
मंदिर के प्रबंधक काशी मिश्रा ने बताया कि 40 साल पहले केवल एक घंटे के लिए स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन होते थे। एक घंटे बाद पट बंद कर दिया जाता था। समय के साथ जैसे-जैसे भक्तों की संख्या बढ़ने लगी, वैसे वैसे दर्शन के घंटे से बढ़कर दिन के हो गए। अब पांच दिन तक माता के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन मिल रहे हैं।
माता के गले में जो नवरत्नों का हार है, उसमें माणिक्य, हीरा, पन्ना, नीलम, मोती, मूंगा, पुखराज, लहसुनिया और गोमेद जड़े हैं। माता के कान में हकीक और हीरे के झुमके हैं। नाक की नथ हीरे जड़ित हैं। हाथ में नवरत्न के कंगन हैं। माता के सिर का मुकुट स्वर्ण का है। इसमें नवरत्न जड़े गए हैं। काशीपुराधिपति को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली मां अन्नपूर्णा का स्वर्णमयी स्वरूप अद्भुत है। माता की प्रतिमा माणिक्य के गजफूल पर विराजमान है। स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का हीरे और नवरत्नों की माला से शृंगार किया गया है।



