रायबरेली-ऊंचाहार में है बड़ा अजीबोगरीब रेलवे स्टेशन , सौ साल बाद भी स्टेशन तक पहुंचने के लिए कोई मार्ग नहीं,,,,

रायबरेली-ऊंचाहार में है बड़ा अजीबोगरीब रेलवे स्टेशन , सौ साल बाद भी स्टेशन तक पहुंचने के लिए कोई मार्ग नहीं,,,,
रायबरेली-ऊंचाहार में है बड़ा अजीबोगरीब रेलवे स्टेशन , सौ साल बाद भी स्टेशन तक पहुंचने के लिए कोई मार्ग नहीं,,,,

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       रिपोर्ट-सागर तिवारी

ऊंचाहार-रायबरेली-जनपद में सैकड़ों वर्ष पुराना एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जो दिन भर सवारी व मालगाड़ियों के आवागमन के कारण अत्यधिक व्यस्त रहता है , किंतु इस स्टेशन तक पहुंचने के लिए रेलवे ट्रैक के अलावा कोई दूसरा मार्ग नहीं । यहां तैनात रेल कर्मचारी भी रेलवे ट्रैक से ही अपनी ड्यूटी करते हैं । 
           यह स्टेशन ऊंचाहार प्रयाग रेलखंड पर ऊंचाहार रेलवे जंक्शन से करीब

 पांच किमी दूरी पर प्रयागराज की ओर स्थित है । अरखा रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाने वाला यह स्टेशन अंग्रेजी हुकूमत के समय का है । यह स्टेशन पहले गौरैयपुर रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता था । आजादी के करीब दो दशक बाद इस स्टेशन का नाम बदलकर अरखा कर दिया गया । इस स्टेशन तक पहुंचने के लिए कोई पगडंडी भी नहीं है । स्टेशन के स्टेशन के पूर्वी उत्तरी दिशा में एनटीपीसी का सोलर प्लांट है । उसके पश्चिम में किसानों के खेत और बड़े बड़े गड्ढे है । जिनमें जंगली पेड़ और झाड़ियां भरी पड़ी है । स्टेशन के दक्षिणी दिशा में रेलवे ट्रैक है और रेलवे ट्रैक के आगे किसानों के खेत है ,  जिनमें पूरे साल फसल बोई रहती है । इस स्टेशन की दशा भी बड़ी बदहाल है । कुल पांच ट्रैक का यह स्टेशन इतनी खराब हालत में है कि यहां बने भवन , कार्यालय सभी बड़ी जर्जर अवस्था में है । स्टेशन अधीक्षक के कक्ष की फॉर्स में बड़ी बड़ी दरारें हैं । आसपास के पूरा क्षेत्र जंगली होने के कारण इन दरारों से अक्सर सांप निकल आते हैं ।
        अरखा रेलवे स्टेशन रेलवे व्यवसाय की दृष्टि से खासा महत्व रखता है । एनटीपीसी की ऊंचाहार परियोजना के लिए इसी स्टेशन से ट्रैक गया है । इसलिए दिन भर झारखंड से कोयला लेकर आने वाली मालगाड़ियां यहीं पर रुकने के बाद एनटीपीसी को जाती है । उधर ऑस्ट्रेलिया से आने वाला विदेशी कोयला की मालगाड़ी भी इसी स्टेशन पर रुकने के बाद एनटीपीसी के लिए जाती है । इसके अलावा प्रयागराज , कानपुर और लखनऊ के मध्य चलने वाली सवारी गाड़ियां भी इसी स्टेशन से गुजरती है । स्टेशन पर पूरा स्टाफ तैनात है , किंतु यह स्टाफ कैसे अपने कार्यस्थल पर पहुंचेगा इसकी कोई व्यवस्था नहीं है । रेलवे ने अपने स्टेशन तक पहुंचने के लिए कोई भी सड़क मार्ग नहीं बनाया है । परिणाम स्वरूप रेल कर्मचारी भी ट्रैक पर जान जोखिम में डालकर स्टेशन तक पैदल पहुंचते है ।अरखा रेलवे स्टेशन के अधीक्षक जे पी यादव का कहना है कि स्टेशन तक सुगम रास्ता न होने के कारण रात्रिकालीन ड्यूटी में भारी परेशानी होती है । रात में मालगाड़ियां कोयला लेकर आती है , जिनके लिए रात में कई घंटे तक संचालन की व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालनी पड़ती है । स्टेशन की दशा सुधारने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया गया है ।