रायबरेली-भागवत कथा एक ऐसा अमृत है जिसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है

रायबरेली-भागवत कथा एक ऐसा अमृत है जिसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है

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     रिपोर्ट-सागर तिवारी

– भारी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने किया कथा का श्रवण

ऊंचाहार-रायबरेली - क्षेत्र के गांव किसुनी का पुरवा मजरे अरखा   में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचन कर्ता श्री श्री 1008 श्री राजगुरु स्वामी बद्री प्रपन्नाचार्य  ने अजामिल उपाख्यान, ध्रुव चरित्र, प्रहलाद चरित्र व हिरणकश्यप बध तथा नरसिंह अवतार के कथा का व्याख्यान करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का केंद्र है आनंद। आनंद की तल्लीनता में पाप का स्पर्श भी नहीं हो पाता।
        उन्होंने कहा कि “भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है।” कथावाचक ने कथा वर्णन करते हुए कहा कि हिरणकश्यप नामक दैत्य ने घोर तप किया, तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए व कहा कि मांगों जो मांगना है। यह सुनकर हिरनयाक्ष ने अपनी आंखें खोली और ब्रह्माजी को अपने समक्ष खड़ा देखकर कहा-प्रभु मुझे केवल यही वर चाहिए कि मैं न दिन में मरूं, न रात को, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, न ही मैं पानी में डूबकर मरूं, सदैव जीवित रहूं। उन्होंने उसे वरदान दिया। हिरणकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरणकश्यप भागवत विष्णु को शत्रु मानते थे। उन्होंने अपने पुत्र को मारने के लिए तलवार उठाया था कि खंभा फट गया उस खंभे में से विष्णु भगवान नरसिंह का रूप धारण करके जिसका मुख शेर का व धड़ मनुष्य का था। प्रगट हुए भगवान नरसिंह अत्याचारी दैत्य हिरनयाक्ष को पकड़ कर उदर चीर कर बध किया। इस मौके पर यजमान लालता प्रसाद मिश्र सपत्नीक मौजूद थे । इनके अलावा पवन पांडेय , विनोद शुक्ल , पूर्व सीएमओ डॉ राजकुमार मिश्र , बृजेश मिश्र , राकेश मिश्र , नीरज मिश्र , गौरव मिश्र , रज्जन लाल तिवारी , रामानंद मौर्य , मुकेश मिश्र समेत बड़ी संख्या में स्त्री पुरुष मौजूद थे।