रायबरेली-शिक्षा माफियाओं के आगे नतमस्तक शिक्षा विभाग

रायबरेली-शिक्षा माफियाओं के आगे नतमस्तक शिक्षा विभाग

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रिपोर्ट-सागर तिवारी 

ऊंचाहार-रायबरेली- योगी सरकार के रामराज्य जैसे शासनकाल में विगत कुछ वर्षों से शिक्षा विभाग का अवैध कारोबार बहुत तेजी से फल-फूल रहा है।  विदित हो कि इधर कुछ वर्षों में पब्लिक स्कूल, कान्वेंट स्कूल, शिक्षा निकेतन, विद्यापीठ जैसे उपनामों से अवैध विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं।  इन विद्यालयों को संपूर्ण संरक्षण बेसिक शिक्षा विभाग एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग दे रहा है शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों के संरक्षण में यह विद्यालय विगत 5 वर्षों से लगातार फल फूल रहे हैं। गत वर्ष बेसिक शिक्षा विभाग एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग ने एक नोटिस जारी कर अवैध विद्यालयों को पूर्ण रुप से बंद कराने एवं नोटिस के बावजूद संचालित होने पर जुर्माना सहित सील करने के लिए लिखित आदेश प्रशासन को दिया गया था परंतु विद्यालय के प्रबंधकों से सांठगांठ कर अधिकारी कोई कार्यवाही ना करते हुए संचालन होने दिया। ब्लॉक रोहनिया एवं ऊंचाहार के अंतर्गत लगभग एक दर्जन विद्यालय अवैध रूप से लगातार संचालित हो रहे हैं। यही नहीं इन पर अभिभावकों के जेबों पर भी प्रहार किया जा रहा है। रोहनिया ब्लॉक के कुछ विद्यालय जैसे लॉर्ड कृष्णा पब्लिक स्कूल पटेरवा, बीकेएस पब्लिक स्कूल बीकरगण, शिव शिक्षा निकेतन बीकरगण, सुप्रीम पब्लिक स्कूल छतौना मरियानी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पब्लिक स्कूल पटेरवा, बाबा तीरथ दास आदर्श विद्यालय, ग्रामोदय पब्लिक स्कूल लक्ष्मीगंज और ऊंचाहार के अंतर्गत आदर्श सरस्वती ज्ञान मंदिर थाना रोड, काशी विश्वनाथ पब्लिक स्कूल बहेरवा, ज्योतिबा राव फुले पब्लिक स्कूल बहेरवा जैसे अन्य कई विद्यालय क्षेत्र में निरंतर संचालित है। इन विद्यालयों में अयोग्य शिक्षक एवं बिना किसी मानक के शिक्षण कार्य होता है जिससे समाज के विद्यार्थियों पर कुप्रभाव पड़ रहा है। उपरोक्त इन विद्यालयों में हाई स्कूल इंटरमीडिएट की भी कक्षाएं संचालित होती हैं जो कि पूर्ण रूप से अवैध है। कुछ विद्यालय जिनकी कोई भी मान्यता नहीं है वह नर्सरी से आठ तक की कक्षा संचालित कर रहे हैं जिनमें नौनिहाल के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बड़ी बात यह हैं कि शासन के निर्देश पर गत शैक्षिक सत्र में चलाए गए अभियान के दौरान बेसिक शिक्षा विभाग ने इनमें अधिकांश स्कूल संचालकों को नोटिस जारी की थी। इसके बाद भी संचालकों ने विद्यालयों का संचालन जारी रखा है।